- नॉर्मल डिलीवरी के बाद योग क्यों जरूरी है? (normal delivery ke baad yoga kyun zaroori hai)
- सिजेरियन डिलीवरी के बाद योग क्यों जरूरी है? (cesarean delivery ke baad yoga kyun zaroori hai)
- नॉर्मल डिलीवरी के बाद कौन से योग करने चाहिए? (normal delivery ke baad kon se yoga karne chahiye)
- सिजेरियन डिलीवरी के बाद कौन से योग करने चाहिए? (cesarean delivery ke baad kon se yoga karne chahiye)
- डिलीवरी के बाद योग करने से प्रसव पीड़ा से उबरने में राहत मिलती है : प्रसव के बाद कई महीनों तक महिलाएं प्रसव पीड़ा से उबर नहीं पाती है और उन्हें प्रसव पीड़ा जैसा दर्द महसूस होता है। एेसे में डिलीवरी के बाद योग (delivery ke baad yoga), उन्हें प्रसव पीड़ा से उबारने में सहायक होता है।
- डिलीवरी के बाद योग करने से मांसपेशियां मजबूत होती है : गर्भावस्था में शिशु के विकास के साथ गर्भाशय का आकार बढ़ता रहता है जिससे महिलाओं की मांसपेशियों मेंं खिंचाव आ जाता है। डिलीवरी के बाद योग (delivery ke baad yoga) करने से आपकी मांसपेशियां टोन हो जाती है।
- डिलीवरी के बाद योग करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है : अक्सर प्रसव के बाद महिलाओँ में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। योग विशेषज्ञ कहते हैं कि डिलीवरी के बाद योग (delivery ke baad yoga) करने से महिलाओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
- डिलीवरी के बाद योग करने से तनाव कम होता है : गर्भावस्था के बाद महिलाओं में डिलीवरी के बाद तनाव होना आम बात है और इसे कम करने के लिए प्रसव के बाद योग को सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। महिलाओं में अधिक तनाव होने पर विशेषज्ञ भी डिलीवरी के बाद योग (delivery ke baad yoga) अभ्यास की सलाह देते हैं।
- डिलीवरी के बाद योग करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है : कई बार एेसा होता है कि डिलीवरी के बाद भूख न लगने की वजह से पाचन क्रिया पर इसका बुरा असर पड़ता है। प्रसव के बाद योग (delivery ke baad yoga) करने से आपको भूख भी लगेगी और आपकी पाचन क्रिया बेहतर होगी।
- डिलीवरी के बाद योग करने से पीठ और कमर दर्द से राहत मिलती है : योग विशेषज्ञ कहते हैं कि नौ महीनों तक शिशु को गर्भ में रखने के बाद अक्सर महिलाओं को डिलीवरी के बाद पीठ और कमर दर्द की समस्या हो जाती है। प्रसव के बाद योग (delivery ke baad yoga) के विभिन्न आसनों में सेतुबंधासन यानी ब्रिज पोज करने से आपको पीठ और कमर दर्द से राहत मिल सकती है।
- डिलीवरी के बाद योग करने से थकान कम होती है : शिशु के जन्म के बाद उसकी देखभाल से महिलाओं को अतिरिक्त थकान होती है। रोज़ाना योगाभ्यास करने से आपकी थकान कम हो सकती है।
- व्याघ्रासन (vyaghrasan / tiger pose) : सामान्य प्रसव के बाद रोजाना व्याघ्रासन करने से आपके पैरों की मांसपेशियों को एेंठन से राहत मिलती है और इससे पेट की मांसपेशियों का खिंचाव कम होता है। व्याघ्रासन करने से खून का प्रवाह भी सुचारू रूप से हो पाता है।
- भुजंगासन (bhujangasan / cobra pose) : डिलीवरी के बाद लगभग हर महिला को पीठ के निचले हिस्से में दर्द की समस्या होती है। रोजाना भुजंगासन करने से पीठ व पेट के निचले हिस्से के दर्द और कंधों के दर्द से राहत मिलती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे महिलाओं के पेल्विक क्षेत्र की मांसपेशियों तक खून का प्रवाह अच्छी तरह से होता है।
- कपोतासन (kapotasan / pigeon pose) : आमतौर पर प्रसव के बाद नियमित रूप से कपोतासन करने से महिलाओं के शरीर के निचले हिस्से की अकड़न कम होती है और इससे उनकी कमर व कुल्हों के निचले हिस्से में लचीलापन आता है। इसके अलावा सामान्य प्रसव के बाद रोजाना कपोतासन करने से महिलाओं में मूत्राशय संक्रमण का खतरा कम होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह प्रसव के बाद होने वाले तनाव को भी कम करता है।
- चाइल्ड पोज (child pose) : डिलीवरी के बाद चाइल्ड पोज आसन करने से जांघों की मांसपेशियां मजबूत होती है। रोजाना चाइल्ड पोज आसन करने से प्रेगनेंसी के बाद सूजन की समस्या कम होती है और टखनों को आराम मिलता है। यह तनाव और थकान को कम करने के लिए भी फायदेमंद होता है।
- उष्ट्रासन (ustrasana / camel pose) : प्रसव के बाद उष्ट्रासन (delivery ke baad yoga) करने से शरीर के निचले हिस्से और कंधों के खिंचाव से राहत मिलती है। इसके अलावा उष्ट्रासन करने से प्रेगनेंसी के दौरान बढ़ा वजन और पेट की चर्बी कम होती है। यह अस्थमा, थायराइड और स्पॉन्डलाइटिस के लिए भी फायदेमंद होता है।
- अधोमुख श्वानासन (adhomukh swanasan / quarter dog pose) : अधोमुख श्वानासन पीठ के दर्द को कम करने में सहायक होता है, यह शरीर की ढीली पड़ी मांसपेशियों को सख्त या मजबूत बनाने में मदद करता है।
- त्रिकोणासन (trikonasan / triangle pose) : प्रसव के बाद महिलाओं के पेट में जमी चर्बी को दूर करने में त्रिकोणासन असरदार होता है। रोजाना त्रिकोणासन करने से महिलाओँ को तनाव और घबराहट से राहत मिल सकती है।
- गरुड़ासन (garudasan / eagle pose) : रोजाना गरुड़ासन करने से मांसपेशियों में खिंचाव और जोड़ों का दर्द कम होता है। यह घुटनों, टखनों और कलाइयों के दर्द को कम करता है। गरुड़ासन, अवसाद एवं तनाव कम करने में भी सहायक होता है।
- अर्धमत्स्येन्द्रासन (ardha matsyendrasana / half-spinal twist pose) : गर्भावस्था के बाद अर्धमत्स्येन्द्रासन करने से रीढ़ की हड्डी का दर्द और पीठ का दर्द कम होता है। रोज़ाना इस आसन को करने से शरीर के सभी अंगों में रक्त का प्रवाह ठीक से होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि नियमित अर्धमत्स्येन्द्रासन करने से मन स्थिर रहता है।
- सेतुबंधासन (setubandhasan / bridge pose) : महिलाएं प्रसव के बाद चिंता और तनाव को कम करने के लिए सेतुबंधासन कर सकती हैं। नियमित रूप से सेतुबंधासन करने से मन को शांति मिलती है और यह सिर दर्द कम करने में भी मदद करता है।
- अग्निसार क्रिया (agnisaar kriya) : सिजेरियन डिलीवरी के बाद अग्निसार क्रिया करने से तनाव कम होता है। इसके अलावा यह शरीर की पाचन क्रिया को सुचारू बनाता है और कब्ज़ की समस्या को दूर करने में मदद करता है।
- कंधरासन (kandharasana) : सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिलाओं को अक्सर पेल्विक क्षेत्र में असहजता महसूस होती है। रोज़ाना कंधारासन करने से पेल्विक क्षेत्र और गर्भाशय में होने वाली असहजता कम होती है।
- भुजंगासन (bhujangasan / cobra pose) : सिजेरियन डिलीवरी के बाद लगभग हर महिला को पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। रोज़ाना भुजंगासन करने से पीठ व पेट के निचले हिस्से के दर्द और कंधों के दर्द से राहत मिलती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे महिलाओं के पेल्विक क्षेत्र की मांसपेशियों तक खून का प्रवाह अच्छी तरह से होता है।
- उर्ध्व प्रसरिता पादासन (urdhva prasarita padasana) : उर्ध्व प्रसरिता पादासन, सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिलाओं के शारीरिक गठन को वापिस लाने में मदद करता है। इसके अलावा रोजाना उर्ध्व प्रसरिता पादासन करने से पीठ के निचले हिस्से का दर्द कम होता है।
- अधोमुख श्वानासन (adhomukh swanasan / quarter dog pose) : अधोमुख श्वानासन, सिजेरियन डिलीवरी के बाद पीठ दर्द को कम करने में सहायक होता है। यह शरीर की कमज़ोर व ढीली मांसपेशियों को सख्त और मजबूत बनाने में मदद करता है।
- ताड़ासन (tadasan / mountain pose) : सिजेरियन डिलीवरी के बाद नियमित रूप से ताड़ासन करने से आपके पूरे शरीर को लाभ मिलता है। यह शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर में रक्त प्रवाह को सुचारू बनाने में मदद करता है।
- वृक्षासन (vriksasan) : अगर सिजेरियन डिलीवरी के बाद आप ऊपर बताए गए आसनों को करने में सक्षम हो जाती हैं तो इसके बाद आप वृक्षासन कर सकती है। वृक्षासन, आपके पेल्विक क्षेत्र को मजबूत बनाता है और शरीर का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
- डिलीवरी के बाद योग (delivery ke baad yoga) शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ले लें।
- रोजाना योग करने के लिए समय निर्धारित करें।
- प्रसव के बाद योग (delivery ke baad yoga) शुरू करने के पहले आरामदायक कपड़े पहनें।
- डिलीवरी के बाद योग (delivery ke baad yoga) करने के लिए किसी योगा मैट या चटाई का उपयोग करें।
- प्रसव के बाद योग (delivery ke baad yoga) करने के दौरान संतुलित आहार लें।
- खाली पेट योग करें, इससे योग ज्यादा असरदार होता है।
- अगर किसी व्यायाम से पेट पर ज़ोर पड़ता है, तो उसे टांकें ठीक होने के बाद ही करें।
बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं की व्यस्त दिनचर्या की वजह से उन्हें अपनी सेहत पर ध्यान देने का समय नहीं मिलता है। एेसी परिस्थिति में कई महिलाएं अपना बढ़ा हुआ वजन कम करने के लिए प्रसव के बाद योग करने को प्राथमिकता देती हैं। हमारे ब्लॉग में डिलीवरी के बाद योग (delivery ke baad yoga) से जुड़ी कई अहम बातें बताई गई हैं जिनसे आप न केवल अपनी सेहत का संपूर्ण ख्याल रख सकती हैं बल्कि पहले की तरह स्वस्थ भी रह सकती हैं। नॉर्मल या सिजेरियन डिलीवरी होने की स्थिति में योग शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
इस ब्लॉग के विषय - 1. डिलीवरी के कितने दिनों बाद योग कर सकते हैं? (delivery ke kitne dino baad yoga kar sakte hai),
2. डिलीवरी के बाद योग का महत्व क्या है? (delivery ke baad yoga ka mahatwa kya hai),
- नॉर्मल डिलीवरी के बाद योग का महत्व (normal delivery ke baad yoga ka mahatwa),
- सिजेरियन डिलीवरी के बाद योग का महत्व (cesarean delivery ke baad yoga ka mahatwa),
- नॉर्मल डिलीवरी के बाद कौन से योग करने चाहिए? (normal delivery ke baad kon se yoga karne chahiye),
- सिजेरियन डिलीवरी के बाद कौन से योग करने चाहिए? (cesarean delivery ke baad kon se yoga karne chahiye),