हर नई मां अपनी प्रेगनेंसी को लेकर जितना उत्साहित होती हैं उतना ही डिलीवरी को लेकर जिज्ञासु भी होती है। प्रेगनेंसी के दौरान प्रसव को लेकर घर के बड़े-बुजुर्ग आपको ढेर सारी सलाह देते हैं, लेकिन उनमें से कितने काम की है यह आपको डॉक्टर ही बता सकते हैं। इस ब्लॉग में हम आपको नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) से जुड़े 15 मिथकों के बारे में बताएंगे।
मिथक 1. नॉर्मल डिलीवरी के वक्त प्रसव पीड़ा से महिला की जान जा सकती है
(normal delivery mithak: normal delivery ke waqt prasav pida se mahila ki jaan jaa sakti hai)
सच्चाई - यह सच नहीं है। नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) के वक्त प्रसव पीड़ा से महिला की जान नहीं जा सकती। इस दौरान महिलाओं को असहनीय प्रसव पीड़ा होती है, लेकिन दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर उन्हें इंजेक्शन देते हैं। हालांकि कुछ परिस्थितियों में अगर गर्भवती महिला किसी गंभीर बीमारी जैसे हाई बीपी (high bp), फेफड़े (lungs), किडनी (kidney), लिवर (liver) और एचआईवी (HIV) संक्रमण से पीड़ित है तो स्थिति अलग हो सकती है।
मिथक 2. सामान्य प्रसव से महिला के गर्भाशय को चोट पहुंच सकती है
(normal delivery mithak: normal delivery se mahila ke garbhashay ko chot pahunch sakti hai)
सच्चाई - यह पूरी तरह से सच नहीं है। डॉक्टर कहते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) में गर्भाशय को चोट नहीं पहुंचती है, लेकिन अगर गर्भवती महिला को पहले सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी है तो उनके गर्भाशय में लगे चीरे की वजह से नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) के समय गर्भाशय को चोट लगने की संभावना हो सकती है।
मिथक 3. नॉर्मल डिलीवरी होने पर महिला की सेक्स में रूचि खत्म हो सकती है
(normal delivery mithak: normal delivery hone par mahila ki sex me ruchi khatam ho sakti hai)
सच्चाई - यह सच नहीं है। एेसा कहा जाता है कि नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) के दौरान होने वाली प्रसव पीड़ा और योनि में एपिसियोटोमी (episiotomy in hindi) या चीरा लगने की वजह से बाद में सेक्स के दौरान असहजता महसूस होती है या सेक्स में रूचि खत्म हो सकती है, लेकिन सच तो यह हैं कि प्रेगनेंसी के बाद मां की जीवनशैली में हुए बदलाव की वजह से उनकी सेक्स में रूचि कम हो जाती है। यह सिजेरियन डिलीवरी से बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं को भी हो सकता है।
मिथक 4. प्राकृतिक रूप से प्रसव पीड़ा शुरू न होने पर नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो सकती है
(normal delivery mithak: prakritik roop se prasav pida shuru na hone par normal delivery nahi ho sakti hai)
सच्चाई - यह मिथक सच नहीं है। अगर आपको डिलीवरी के संभावित समय पर प्राकृतिक रूप से प्रसव पीड़ा शुरू न हो तो यह जरूरी नहीं है कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) नहीं हो सकती। अगर प्राकृतिक रूप से किसी महिला को प्रसव पीड़ा न हो या शुरू होकर रूक जाए, तो डॉक्टर दवाओं के ज़रिए प्रसव पीड़ा शुरू करवा कर सामान्य प्रसव करवा सकते है।
मिथक 5. नॉर्मल डिलीवरी में वैक्यूम के सहारे बच्चे को निकाला जाता है
(normal delivery mithak: normal delivery me vaccum ke sahare bache ko nikala jata hai)
सच्चाई - यह मिथक पूरी तरह से सच नहीं है। अगर नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) के दौरान गर्भवती महिला की योनि मार्ग या सर्विक्स वॉल खुल जाती है तो बच्चा आसानी से बाहर आ सकता है। हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि कई बार प्रेगनेंसी के जटिल मामलों में बच्चे की सुरक्षा को देखते हुए वैक्यूम के सहारे उसे बाहर निकाला जाता है।
मिथक 6. प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में घी पीने से नॉर्मल डिलीवरी सरल होती है
(normal delivery mithak: pregnancy ki tisri timahi me ghee pine se normal delivery saral hoti hai)
सच्चाई - कहते हैं कि प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में ज्यादा घी पीने से नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) सरल होती है, लेकिन यह एक मिथक है। प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही के दौरान घी पीने से आपकी कैलोरी बढ़ सकती है, जिससे आपका वजन भी तेज़ी से बढ़ सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में महिला का वजन बढ़ने से नॉर्मल डिलीवरी में समस्या हो सकती है।
मिथक 7. कम लंबी महिलाओं को नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो सकती
(normal delivery mithak: kam lambi mahilaon ko normal delivery nahi ho sakti)
सच्चाई - आमतौर पर सामान्य प्रसव का गर्भवती महिलाओं की लंबाई से कोई लेना देना नहीं होता, इसीलिए यह सच नहीं है। डॉक्टर्स कहते हैं कि अगर गर्भवती महिला की लंबाई कम हुई तब भी उनकी नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) हो सकती है। एक अनुमान के आधार पर भारत में हर साल करीब 49 प्रतिशत कम लंबी महिलाएं सामान्य प्रसव से अपने बच्चे को जन्म देती है।
मिथक 8. नॉर्मल डिलीवरी के बाद शिशु को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है
(normal delivery mithak: normal delivery ke baad bache ko saans lene me dikkat ho sakti hai)
सच्चाई - यह पूरी तरह सच नहीं है। दरअसल, नवजात शिशुओं के फेफड़े (lungs) पूरी तरह से विकसित न होने की वजह से उन्हें जन्म के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है। इसीलिए सामान्य प्रसव (normal delivery in hindi) और सिजेरियन डिलीवरी दोनों ही स्थिति में शिशु को सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
मिथक 9. पानी की थैली फटने से नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है
(normal delivery mithak: pani ki thaili fatne se normal delivery ho sakti hai)
सच्चाई - यह मिथक पूरी तरह सच नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि गर्भावधि पूरी होने से पहले अगर पानी की थैली फट जाती है तो गर्भवती महिला को नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) हो सकती है, लेकिन पानी की थैली फटने पर नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन डिलीवरी दोनों हो सकती है।
मिथक 10. एपीड्यूरल दिए जाने से महिला को नॉर्मल डिलीवरी की संभावना होती है
(normal delivery mithak: epidural diye jane se mahila ko normal delivery ki sambhavana hoti hai)
सच्चाई -
यह सच नहीं है। डॉक्टर कहते हैं कि सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी में असहनीय दर्द होने की वजह से गर्भवती महिलाओं को दर्द कम करने के लिए एपीड्युरल (epidural in hindi) दिया जाता है। एेसा नहीं है कि अगर प्रसव के पहले एपीड्युरल लगाया जा रहा है तो आपको नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) ही होगी। एपीड्युरल कैथिटर के माध्यम से दी जाने वाली दवा है जो गर्भवती मां को प्रसव पीड़ा से राहत देने में मदद करती है। आमतौर पर एपीड्युरल महिलाओं को रीढ़ की हड्डी में दिया जाता है।
मिथक 11. कूल्हे चौड़े होने पर नॉर्मल डिलीवरी आसानी से हो सकती है
(normal delivery mithak: kulhe chowde hone par normal delivery aasani se ho sakti hai)
सच्चाई - सच्चाई बिल्कुल इससे विपरीत है। कूल्हे चौड़े होने पर नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) आसानी से नहीं होती, क्योंकि वजन बढ़ने से श्रोणि (pelvis) का आकार छोटा हो जाता है और बच्चे को बाहर आने में और अधिक समस्या होती है।
मिथक 12. पूरे चाँद की रात नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है
(normal delivery mithak: pure chaand ki raat normal delivery hone ki sambhavan sabse jyada hoti hai)
सच्चाई - यह मिथक सच नहीं है। लोग कहते हैं कि पूरे चाँद की रात सबसे ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) होती है, लेकिन सच्चाई यह है कि गर्भावस्था के दौरान प्रसव पीड़ा कभी भी हो सकती है और एेसे हालात में नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी, दोनों हो सकती है। इसका पूरे चाँद की रात से कोई संबंध नहीं होता है।
मिथक 13. अगर गर्भवती खुद नॉर्मल डिलीवरी से जन्मी है तो उसकी भी नॉर्मल डिलीवरी होगी
(normal delivery mithak: agar garbhvati khud normal delivery se janmi hai to uski bhi normal delivery hogi
सच्चाई - यह सच नहीं है। एेसा जरूरी नहीं है कि अगर कोई गर्भवती खुद नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) से जन्मी है तो उसकी भी नॉर्मल डिलीवरी होगी। किसी गर्भवती महिला की नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) होने की संभावना तब होती है जब वो और उसका बच्चा दोनों पूर्ण रूप से स्वस्थ हों, लेकिन अगर गर्भवती महिला का वजन ज्यादा है और उसे किसी प्रकार की बीमारी है तो परिस्थिति अलग हो सकती है।
मिथक 14. गर्भ में जुड़वां बच्चे होने पर नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो सकती
(normal delivery mithak: garbh me judwa bacche hone par normal delivery nahi ho sakti)
सच्चाई - इस मिथक में कोई सच्चाई नहीं है, क्योंकि सामान्य परिस्थितियों में गर्भ में जुड़वां बच्चे होने पर भी आप नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) से बच्चों को जन्म दें सकती हैं। डॉक्टर कहते हैं कि अगर जुड़वां बच्चों से गर्भधारण करने वाली मां को बीपी (high bp), शुगर (sugar), थायराइड (thyroid) या कोई अन्य बीमारी है या फिर शिशुओं को गर्भ में सांस या हृदय संबंधी कोई समस्या है, तो इन स्थितियों में महिला को सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह दी जाती है, ताकि मां और शिशु सुरक्षित रह सकें।
मिथक 15. अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला को ज्यादा उल्टियां आती हैं तो उसको नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है
(normal delivery mithak: agar pregnancy ke dauran mahila ko jyada ultiya aati hai to usko normal delivery ho sakti hai)
सच्चाई - यह सच नहीं है। सीधे तौर पर इस मिथक को सामान्य प्रसव (normal delivery in hindi) से नहीं जोड़ा जा सकता क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान लगभग हर गर्भवती महिला को उल्टी आती है। डॉक्टर्स बताते हैं कि अक्सर गर्भवती महिलाओं के शरीर में बनने वाले प्रेगनेंसी हार्मोन यानी एचसीजी हार्मोन (hCG hormone) की वजह से उन्हें उल्टियां आती है।
प्रेगनेंसी का समय महिलाओं के लिए सुखद होता है, लेकिन नॉर्मल डिलीवरी से संबंधित मिथकों की वजह से कई बार वें सोच में पड़ जाती हैं कि किस बात पर भरोसा करें और किस पर नहीं। हमारे इस ब्लॉग को पढ़ कर आपको सामान्य प्रसव या नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery in hindi) से जुड़े विभिन्न मिथकों और उनकी सच्चाई की जानकारी मिलेगी। इन मिथकों के आलावा अगर आपके मन में किसी और बात को लेकर दुविधा हो तो आप अपने डॉक्टर से सलाह ले लें।