- भ्रूण स्टेम कोशिका (embryonic stem cell in hindi)
भ्रूण स्टेम कोशिकाएं गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर का निर्माण करती हैं और भ्रूण में पाए जाने की वजह से इन्हें भ्रूण स्टेम कोशिका (embryonic stem cell in hindi) कहा जाता है।
- भ्रूण स्टेम कोशिका के फायदे - ये शरीर के किसी भी अंग या उत्तक की कोशिकाओं का निर्माण कर सकती हैं। शरीर में गंभीर चोट लगने पर इनकी सहायता से क्षतिग्रस्त अंग को ठीक किया जा सकता है।
- भ्रूण स्टेम कोशिका की सीमाएं - एक भ्रूण से निश्चित संख्या में ही स्टेम कोशिकाएं (embryonic stem cell in hindi) निकाली जा सकती हैं। ये कोशिकाएं अपरिपक्व होने की वजह से अस्थिर होती हैं और इनके कैंसर कोशिकाओं में बदलने की आशंका ज्यादा होती है।
- वयस्क स्टेम कोशिका (adult stem cell in hindi)
वयस्क स्टेम कोशिकाएं बच्चों व बड़ों, सभी के शरीर में पाई जाती हैं और मुख्य रूप से शरीर के अलग अलग भागों में विशिष्ट अंगों व उत्तकों की कोशिकाओं का निर्माण करती हैं।
- वयस्क स्टेम कोशिका के फायदे - ये कोशिकाएं जिस उत्तक में पाई जाती हैं, उसका दोबारा निर्माण करने में सक्षम होती हैं। वयस्क स्टेम कोशिकाओं (adult stem cell in hindi) के कैंसर कोशिकाओं में बदलने की आशंका नहीं होती है और लंबे समय से इनका चिकित्सकीय उपयोग किया जा रहा है, अतः ये विश्वसनीय हैं।
- वयस्क स्टेम कोशिका की सीमाएं - वयस्क स्टेम कोशिकाएं (adult stem cell in hindi) लेने के लिए अक्सर ऑपरेशन की ज़रूरत पड़ती है और ये शरीर में सीमित मात्रा में पाई जाती हैं। इन कोशिकाओं की दूसरी कोशिकाओं में परिवर्तित होने की क्षमता सीमित होती है और ये एक या दो उत्तकों की कोशिकाओं का ही निर्माण कर सकती हैं।
- गर्भनाल रक्त स्टेम कोशिका (cord blood stem cell in hindi)
जैसा कि इसके नाम से ही पता लग रहा है, ये नवजात शिशु की गर्भनाल के रक्त (cord blood in hindi) में पाई जाती है। फिलहाल इस स्टेम कोशिका के चिकित्सकीय उपयोग को लेकर कई शोधकार्य हो रहे हैं और डॉक्टर्स को उम्मीद है कि इसके ज़रिए आने वाले समय में कई लाइलाज बीमारियों का इलाज किया जा सकेगा।
- गर्भनाल रक्त स्टेम कोशिका के फायदे - ये स्टेम कोशिका गर्भनाल में पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है और इसे निकालते समय शिशु को किसी प्रकार का दर्द भी नहीं होता है, इसलिए इसे निकालना आसान व सुरक्षित है। गर्भनाल रक्त स्टेम कोशिकाओं (cord blood stem cell in hindi) के वायरस द्वारा संक्रमित होने का खतरा कम होता है और इनके कैंसर कोशिकाओं में विकसित होने की आशंका बेहद कम होती है। इसके अलावा ये स्टेम सेल (stem cell in hindi) शरीर में मौजूद किसी भी प्रकार की कोशिका का निर्माण कर सकते हैं।
- गर्भनाल रक्त कोशिका की सीमाएं - गर्भनाल के रक्त के एक यूनिट में स्टेम कोशिकाओं (stem cell in hindi) की सीमित मात्रा होती है।



- गर्भनाल रक्त ऐसी स्टेम कोशिकाओं (cord blood stem cell in hindi) से भरपूर होता है, जो खून व रोग प्रतिरोधक तंत्र का निर्माण कर सकती हैं। ऐसे में कॉर्ड ब्लड बैंकिंग (cord blood banking in hindi) के ज़रिए रक्त और प्रतिरोधक तंत्र से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
- भविष्य में शिशु का कोई अंग क्षतिग्रस्त होने पर उसके कॉर्ड ब्लड की मदद से उस अंग को ठीक किया जा सकता है। हालांकि इस विषय में अभी शोध जारी है, इसलिए स्पष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता।
- रक्त कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित रोगी का उपचार कीमोथेरेपी से किया जाता है, इससे उसके शरीर की रोगग्रस्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। लेकिन कीमोथेरेपी होने के बाद भी अगर रक्त कैंसर ठीक ना हो तो डॉक्टर स्टेम सेल प्रत्यारोपण (stem cell transplant in hindi) की सलाह देते हैं। ऐसे में एक स्वस्थ शिशु के कॉर्ड ब्लड (cord blood stem cell in hindi) के ज़रिए रोगी के शरीर में नया खून व बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित की जा सकती है और वह पूरी तरह ठीक हो सकता है।
- बोनमैरो (अस्थिमज्जा) की तुलना में गर्भनाल रक्त अपरिपक्व होता है और यह बाहरी कोशिकाओं व अंगों पर आक्रमण नहीं करता है। जबकि बोनमैरो ट्रांसप्लांट के करीब 40 प्रतिशत मामलों में मरीज़ का शरीर ट्रांसप्लांट को अपना नहीं पाता है। इसलिए बोनमैरो ट्रांसप्लांट की तुलना में गर्भनाल रक्त या कॉर्ड ब्लड ट्रांसप्लांट ज्यादा सुरक्षित है।
- किसी व्यक्ति को स्टेम सेल (stem cell in hindi) की ज़रूरत हो, लेकिन उसे उसके शरीर की ज़रूरत के हिसाब से कोई मैच्योर स्टेम सेल दानदाता (डोनर) ना मिल पाए, तो ऐसी स्थिति में उसके लिए किसी अन्य शिशु की गर्भनाल रक्त स्टेम कोशिकाएं (cord blood stem cell in hindi) जीवनदायी साबित हो सकती हैं।


- पहला चरण : चिमटी लगाकर गर्भनाल काटना - जैसे ही आप शिशु को जन्म देती हैं, डॉक्टर आपके शिशु की गर्भनाल पर चिमटी लगाकर उसे काट देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार शिशु की गर्भनाल जन्म के तुरंत बाद काटने के बजाय, 30 से 60 सैकण्ड बाद काटने से शिशु का स्वास्थ्य बेहतर होता है। लेकिन देरी से गर्भनाल काटने से, संरक्षित किये जा रहे गर्भनाल रक्त (cord blood in hindi) की गुणवत्ता और मात्रा प्रभावित हो सकती है। इसलिए ऐसा करने के बारे में डॉक्टर से डिलीवरी से पहले ही सलाह ले लें।
- दूसरा चरण : कॉर्ड ब्लड निकालना - गर्भनाल को शिशु के शरीर से अलग करने के बाद डॉक्टर गर्भनाल के प्लेसेंटा से जुड़े भाग से इंजेक्शन के ज़रिए कॉर्ड ब्लड बाहर निकाल लेते हैं। यह रक्त एक विशेष थैली में इकट्ठा होता है और आमतौर पर इसकी मात्रा 30 मिलीलीटर से 150 मिलीलीटर होती है। इस प्रक्रिया में करीब 10 मिनट का समय लगता है।
- तीसरा चरण : कॉर्ड ब्लड को विशेष बैंक में भेजना - शिशु की गर्भनाल से निकाले गए कॉर्ड ब्लड को सावधानीपूर्वक एक कॉर्ड ब्लड स्टेम सेल बैंक (cord blood stem cell bank in hindi) में भेज दिया जाता है, जहाँ इसकी जाँच की जाती है और एक विशेष प्रक्रिया के ज़रिए कॉर्ड ब्लड को संरक्षित (प्रिजर्व) कर दिया जाता है। कुछ निजी कॉर्ड ब्लड स्टेम सेल बैंक माता पिता को गर्भनाल रक्त के साथ ही गर्भनाल का एक टुकड़ा संरक्षित करने की सुविधा भी देते हैं। गर्भनाल की स्टेम कोशिका, कॉर्ड ब्लड स्टेम कोशिका (cord blood stem in hindi) से अलग होती है और वर्तमान समय में इसके उपयोग के बारे में जानने के लिए कई अध्ययन किये जा रहे हैं।

- पब्लिक कॉर्ड ब्लड बैंक (public cord blood bank in hindi) - ये बैंक दान किया गया कॉर्ड ब्लड सुरक्षित रखने के लिए रुपये नहीं लेते हैं। यहाँ जमा किया गया कॉर्ड ब्लड (cord blood in hindi) सभी के उपयोग के लिए उपलब्ध होता है। इसके अलावा ये बैंक दान किये गए कॉर्ड ब्लड का उपयोग बीमारियों के उपचार व अन्य रिसर्च कार्यों के लिए भी करते हैं। भारत सरकार के कॉर्ड ब्लड बैंक का नाम जीवन पब्लिक कॉर्ड ब्लड बैंक है।
- प्राइवेट कॉर्ड ब्लड बैंक (private cord blood bank in hindi) - ये निजी कॉर्ड ब्लड बैंक होते हैं, जो आपके शिशु के कॉर्ड ब्लड (cord blood in hindi) को जमा करने के बदले आपसे पैसे लेते हैं। इसके बाद हर साल शिशु के कॉर्ड ब्लड के रखरखाव के लिए आपसे कुछ फीस ली जाती है। ये बैंक आपके शिशु के कॉर्ड ब्लड को केवल आपके परिवार के लिए सुरक्षित रखते हैं।
- डायरेक्ट डोनेशन बैंक (direct donation bank in hindi) - ये बैंक प्राइवेट और सरकारी कॉर्ड ब्लड बैंक का मिला-जुला रूप होते हैं। इनमें दान किया गया कॉर्ड ब्लड आम जनता के उपयोग व रिसर्च कार्यों के लिए मुफ्त में उपलब्ध होता है, लेकिन अगर आप चाहें तो अपने शिशु का कॉर्ड ब्लड अपने परिवार के लिए आरक्षित (रिज़र्व) रख सकते हैं और इसके लिए कोई फीस नहीं ली जाती है।

- कॉर्ड ब्लड स्टेम सेल के बारे में जानकारी इकट्ठी करें।
- पब्लिक और प्राइवेट कॉर्ड ब्लड बैंक के बीच अंतर समझें।
- अगर आप प्राइवेट कॉर्ड ब्लड बैंक चुन रहे हैं, तो इनके बारे में अच्छी तरह जांच पड़ताल करने के बाद ही कोई फैसला लें।
- अगर आपको अपने शिशु का कॉर्ड ब्लड सुरक्षित रखवाना है, तो इसके लिए प्रसव से पहले ही डॉक्टर्स से बात कर लें, ताकि आप सही कॉर्ड ब्लड बैंक चुन सकें और डॉक्टर सही समय पर नवजात का गर्भनाल रक्त निकाल सकें।
इस ब्लॉग के विषय - स्टेम कोशिकाएं कितने प्रकार की होती हैं? (Stem cell kitne type ki hoti hai),
नवजात शिशु का गर्भनाल रक्त क्या होता है? (Baby ka cord blood kya hota hai),गर्भनाल रक्त बैंकिंग क्या होती है? (Cord blood banking kya hoti hai),कॉर्ड ब्लड बैंकिंग क्यों की जाती है? (Cord blood banking kyun ki jati hai),
गर्भनाल रक्त स्टेम कोशिकाओं से किन बीमारियों का इलाज किया जा सकता है? (Cord blood stem cell se kin bimariyo ka ilaj kiya ja sakta hai),
गर्भनाल रक्त कैसे इकट्ठा किया जाता है? (Cord blood kaise collect kiya jata hai),
शिशु का कॉर्ड ब्लड कहाँ रखा जाता है? (Baby ka cord blood kaha rakha jata hai),
क्या बच्चे का इलाज उसकी कॉर्ड ब्लड स्टेम कोशिकाओं से करवाना सबसे बेहतर होता है? (Kya baby ka ilaj uski cord blood stem cell se karna best hota hai),
क्या बच्चे की आनुवांशिक बीमारियों के इलाज के लिए उसके कॉर्ड ब्लड का उपयोग किया जा सकता है? (Kya baby ki genetic bimariyo ka ilaj uske cord blood se ho sakta hai),
कॉर्ड ब्लड बैंकिंग के टिप्स (Cord blood banking ke tips)