अक्सर माता पिता अपने नवजात शिशु के रोग-ग्रस्त होने पर परेशान हो जाते हैं, क्योंकि नवजात शिशु नाक, कान व गले सम्बंधी समस्याओं (ENT problems in hindi) से जल्दी पीड़ित हो जाते हैं। जन्म के समय नवजात शिशु के नाक, कान व पाचन तंत्र सहित शरीर के कई अंग पूरी तरह विकसित नहीं होते हैं, इसलिए नवजात शिशुओं व एक वर्ष से कम आयु के बच्चों के बीमार होने का खतरा ज्यादा होता है। आज के ब्लॉग में हम आपको शिशुओं में नाक, कान व गले सम्बंधी कुछ सामान्य समस्याओं व उनके उपचार के बारे में बता रहे हैं।
1. नवजात शिशु के रोग - छोटे बच्चों की सर्दी-जुकाम व फ्लू की समस्या
(Cold cough in babies in hindi)
बच्चों की बीमारियों से लड़ने की क्षमता (immunity in hindi) बहुत कम होती है, इसलिए वो छोटे छोटे संक्रमणों से भी बीमार हो जाते हैं। अगर आपके नवजात के आसपास और भी बच्चे हैं तो उसे सर्दी-जुकाम व सामान्य फ्लू होने की आशंका ज्यादा होती है।
ये छोटे छोटे संक्रमण शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity in hindi) को विकसित करने में सहायक होते हैं, लेकिन फिर भी छोटे बच्चों की सर्दी के दौरान उनका खास खयाल रखने की ज़रूरत होती है।
नवजात शिशु के रोग - छोटे बच्चों की सर्दी व जुकाम की वजह क्या है?
(Bache ko sardi jukham kyu hota hai)
- छोटे बच्चों की सर्दी व फ्लू की समस्या की वजह कीटाणु (वायरस) हो सकते हैं, जो हवा के ज़रिए शिशु के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
- इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आना, या प्रदूषित ज़मीन पर बैठना इस समस्या की वजह बन सकता है।
नवजात शिशु के रोग - छोटे बच्चों की सर्दी व फ्लू के लक्षण क्या होते हैं?
(Bache ko thand lagne ke lakshan kya hote hai)
- बुखार होना
- छींकना
- गले में कफ होना, खाँसना
- भूख कम होना
- चिड़चिड़ापन
- सोने में परेशानी होना
- नाक बंद होना
नवजात शिशु के रोग - बच्चे को ठंड लगने का इलाज क्या है?
(Baby ki sardi ka ilaj kya hai)
सामान्य सर्दी जुकाम की कोई विशेष दवाई नहीं होती है, इसलिए शिशु की साफ सफ़ाई और अच्छी देखभाल करना ही एकमात्र उपाय है। मगर छोटे बच्चों की सर्दी या जुकाम दूर करने के लिए आप कुछ घरेलू नुस्खे आजमा सकती हैं -
- अगर शिशु छह माह से बड़ा है और आप उसे स्तनपान नहीं करवाती हैं, तो सर्दी दूर करने के लिए शिशु को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ जैसे सब्जियों का सूप, दाल का पानी, फॉर्मूला मिल्क (formula milk in hindi) आदि पिलाती रहें।
- अच्छी तरह स्तनपान (stanpan) करवाने से छोटे बच्चों की सर्दी की समस्या जल्दी ठीक हो सकती है।
- छोटे बच्चों की सर्दी को दूर करने के लिए शिशु की नाक साफ करती रहें।
- छोटे बच्चों की सर्दी को दूर करने के लिए हवा को नम बनाए रखें, इसके लिए शिशु के कमरे में गर्म पानी का कोई बर्तन रखें जिससे कमरे में भाप बन जाये, इससे शिशु की नाक और गले को आराम मिलता है और बन्द नाक खुल जाती है।
- छोटे बच्चों की सर्दी व ज़ुकाम की समस्या में डॉक्टर की सलाह के बिना शिशु को किसी भी प्रकार की दवा ना दें। डॉक्टर शिशु को सर्दी व बुखार कम करने की दवाई दे सकते हैं।
नवजात शिशु के रोग - बच्चे को ठण्ड से कैसे बचाएं?
(Baby ko sardi se kaise bachaye)
- शिशु को बीमार लोगों से दूर रखकर उसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
- शिशु को दूध पिलाने या छूने से पहले हाथ व स्तन धोयें।
- शिशु के खिलौनों की साफ सफाई करती रहें, इससे सर्दी जुकाम जैसे रोग शिशु से दूर रहते हैं।
- घर में सभी को मुँह पर रुमाल रखकर छींकना व खाँसना सिखायें, इससे छोटे बच्चों की सर्दी - ज़ुकाम व फ्लू की समस्या से सुरक्षा की जा सकती है।
2. नवजात शिशु के रोग - बच्चे को कान के संक्रमण की समस्या
(Baby ear problems in hindi)
अक्सर शिशुओं को कान में दर्द या कान में संक्रमण की समस्या हो जाती है। इस तरह के शिशु रोग बेहद सामान्य हैं और इनका पता लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है। शिशु के व्यवहार में अचानक बदलाव आने पर आप समझ जाएं, कि उसे कान में संक्रमण या कोई अन्य शारीरिक समस्या परेशान कर रही है। कान की समस्या होने पर शिशु बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं और रोने लगते हैं।
नवजात शिशु के रोग - बच्चे को कान का संक्रमण क्यों होता है?
(Baby ko ear infection kyun hota hai)
आमतौर पर शिशु के कान में पानी या कोई अन्य तरल पदार्थ चले जाने पर वह नाक के पिछले भाग से होकर गले में चला जाता है। लेकिन शिशु की नाक बंद होने पर वह तरल पदार्थ शिशु के कान में ही रह जाता है और इससे कान में वायरस (virus in hindi) या बैक्टीरिया (bacteria in hindi) पनप जाते हैं, जिससे शिशु के कान में संक्रमण हो जाता है।
नवजात शिशु के रोग - बच्चे के कान में संक्रमण के लक्षण क्या होते हैं?
(Bache ko ear problem hone ke lakshan kya hai)
- शिशु के कान का बहना
- शिशु का बार रोना
- शिशु के कान से बदबू आना
- शिशु को नींद ना आना
- शिशु की भूख कम होना
- शिशु को उल्टी - दस्त होना
- शिशु को हल्का या तेज बुखार होना
- कान में दर्द की वजह से शिशु का बार बार कान पकड़ना या खींचना
नवजात शिशु के रोग - बच्चे के कान में संक्रमण का इलाज क्या है?
(Baby ki ear problem ka ilaj kya hai)
शिशु में कान की समस्या (ear problems in hindi) के लक्षण दिखाई देने पर उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जायें। कान का सामान्य संक्रमण दो से तीन दिन में अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन अगर शिशु के कान का संक्रमण गम्भीर है तो डॉक्टर शिशु को एंटीबायोटिक दवाईयाँ (antibiotics in hindi) देते हैं। अगर शिशु छह माह से बड़ा से तो डॉक्टर शिशु को दर्द की दवा (painkiller in hindi) भी दे सकते हैं।
नवजात शिशु के रोग - बच्चे को कान के संक्रमण से कैसे बचाएं?
(Bache ko ear problem se kaise bachaye)
शिशु को कान की समस्या (baby ear problems in hindi) से बचाने के लिए सही समय पर टीके लगवाएं, जैसे निमोनिया का टीका (pneumonia vaccine in hindi) शिशुओं को कान के संक्रमण होने का खतरा कम कर देता है।
अपने बच्चे को कान की समस्या से सेफ रखने के लिए शिशु को कम से कम छह माह तक स्तनपान (breastfeeding in hindi) करवाएं।
शिशु को कान की समस्या (baby ear problems in hindi) से बचाने के लिए उसे सिगरेट के धुएं व प्रदूषण से दूर रखें।
शिशु को नहलाते समय उसके कान में पानी ना जाने दें, चाहें तो शिशु को नहलाते समय उसके कान में थोड़ी रुई लगा दें। इससे शिशु को कान की समस्या (baby ear problems in hindi) होने का खतरा कम हो जाता है।
3. नवजात शिशु के रोग - बच्चे के मुँह में छाले या सफेद धब्बों की समस्या
(Bache ke muh me chhale)
स्तनपान करने वाले शिशुओं के मुंह मे छाले या जीभ व मसूढ़ों पर अक्सर सफेद धब्बे (oral thrush in hindi) नज़र आते हैं, यह शिशु के मुँह में एक तरह के फंगस के संक्रमण (fungal infection in hindi) की वजह से होते हैं। आमतौर पर इस रोग से शिशु को कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन उसे एक बार डॉक्टर को ज़रूर दिखायें।
नवजात शिशु के रोग - बच्चे के मुँह में छाले क्यों होते हैं?
(Baby ko chhale kyun hote hai)
प्रसव के समय सर्विक्स (cervix in hindi) से निकलते वक़्त कुछ शिशु यीस्ट (एक प्रकार का फंगस) के सम्पर्क में आते हैं, जिससे जन्म के बाद शिशु के मुँह में छाले हो सकते हैं। इसके अलावा एंटीबायोटिक दवाईयाँ शिशु के मुँह में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को मार देती हैं, जिससे मुँह में यीस्ट का संक्रमण हो जाता है और इससे शिशु के मुँह में छाले हो सकते हैं।
साथ ही शिशु के मुँह में छाले होने का एक कारण स्तनपान करवाने वाली माँ का एंटीबायोटिक दवाईयाँ खाना भी है, इससे शिशु को यीस्ट संक्रमण की वजह से मुंह के छाले हो सकते हैं।
नवजात शिशु के रोग - बच्चे के मुँह में संक्रमण के लक्षण क्या होते हैं?
(Bacho ke muh me infection ke lakshan kya hai)
- शिशु की जीभ पर सफेद धब्बे, जो हाथ लगाने से नहीं हटते
- शिशु के मुँह के धब्बे पर हाथ लगाने पर दर्द होना (शिशु का रोना)
- दूध पिलाते वक़्त शिशु का रोना
नवजात शिशु के रोग - बच्चे के मुँह के छाले या सफेद धब्बों का इलाज
(Bache ke muh ke chhalo ka ilaj)
बच्चे के मुँह में छाले या सफेद धब्बों के लक्षण दिखने पर शिशु को डॉक्टर के पास ले जाएं, शिशु के मुंह के छाले के लिए डॉक्टर शिशु के मुँह में लगाने की एंटीफंगल दवा देते हैं। इसे शिशु के मुँह में लगाने के साथ ही स्तन के निप्पल पर भी लगाएं, ताकि शिशु को स्तनपान (breastfeeding in hindi) कराते वक़्त आपके निप्पल पर नवजात शिशु के रोग-ग्रस्त मुँह से संक्रमण ना हो।
नवजात शिशु के रोग - बच्चे को मुँह के संक्रमण से कैसे सुरक्षित रखें?
(Baby ko muh ke chhalo se kaise bachaye)
- डॉक्टर की सलाह के बिना शिशु को एंटीबायोटिक दवा ना दें।
- शिशु के दूध की बोतल व खिलौनों को नियमित रूप से साफ करें।
- स्तनपान (stanpan) करवाने वाली माँ को शिशु को स्तनपान कराने के बाद अपने निप्पल धोकर हवा में सुखाने चाहिए।
4. नवजात शिशु के रोग - बच्चे को खाँसी की समस्या
(Bache ko khansi ki problem)
खांसी नवजात शिशुओं में होने वाली आम समस्याओं में से एक है। शिशु के खाँसने और छींकने की कई वजहें हो सकती हैं, इसलिए इस शिशु रोग पर विशेष ध्यान देना चाहिए। शिशु को खाँसी होने पर उसके गले में बलगम (कफ) इकट्ठा हो जाता है।
गले में कफ जमना शिशु की सेहत के लिए नुकसानदायक है और इससे शिशु को सांस लेने में परेशानी भी हो सकती है। शिशु को किसी भी प्रकार की खाँसी (khansi) होने पर उसे शिशु रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं।
नवजात शिशु के रोग - बच्चे को खाँसी क्यों होती है?
(Baby ko khansi kyun hoti hai)
- आमतौर पर ठंड लगने और कीटाणु की वजह से शिशु को खाँसी हो सकती है।
- शिशु के गले में कुछ अटकने या सांस-नली में धूल के कण चले जाने पर शिशु को खाँसी हो सकती है।
- कुछ अन्य गंभीर रोग जैसे निमोनिया (pneumonia in hindi), सूखी खाँसी, फेफड़ों का संक्रमण (bronchiolitis in hindi) आदि होने पर भी शिशु को खाँसी हो सकती है।
नवजात शिशु के रोग - बच्चे को खाँसी होने के लक्षण क्या हैं?
(Baby ko khansi hone ke lakshan kya hai)
- शिशु को साँस लेने में परेशानी होना
- शिशु का थोड़ी थोड़ी देर में खाँसना
- शिशु के गले मे कफ जमना
- शिशु के गले में सूजन आना
- शिशु को भूख ना लगना
- शिशु को बुखार होना
नवजात शिशु के रोग - बच्चे की खाँसी का इलाज कैसे करें?
(Shishu ki khansi kaise thik kare)
शिशु की खाँसी (khansi) के लक्षणों के अनुसार डॉक्टर उसे अलग अलग दवाई देते हैं। अगर शिशु स्तनपान (stanpan) करता है, तो थोड़ा अतिरिक्त दूध पिलाने की कोशिश करें, इससे उसे संक्रमण से लड़ने की ताक़त मिलती है। शिशु को भाप देने से खांसी में आराम मिलता है।
तीन माह से ज्यादा उम्र के नवजात शिशु के रोग ग्रस्त होने पर डॉक्टर उसे विशेष पैरासिटामोल (paracetamol in hindi) या विशेष आइबूप्रोफेन (ibuprofen in hindi) आदि दवाईयाँ दे सकते हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना शिशु को कोई भी दवा ना दें।
नवजात शिशु के रोग - बच्चे को खाँसी से कैसे बचाएं?
(Bache ko khansi se kaise bachaye)
- नहलाने के तुरंत बाद शिशु को अच्छी तरह कपड़े पहना दें।
- शिशु को पर्याप्त मात्रा में स्तनपान (stanpan) करवाएं।
- शिशु को धूल, धुएं आदि से दूर रखें।
- शिशु को बीमार लोगों से दूर रखें।
- शिशु की साफ सफाई का ध्यान रखें।
- शिशु को छूने से पहले सबको हाथ धोने के लिए कहें।
नवजात शिशु तापमान में बदलाव के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं, इसलिए उन्हें हमेशा अच्छी तरह कपड़े पहनाकर रखने से उन्हें ठंड लगने व बुखार जैसी परेशानियों से सुरक्षित रखा जा सकता है। नवजात शिशु के रोग जैसे मुंह के छाले, कान की समस्या, सर्दी-जुकाम आदि बेहद आम हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता अविकसित होने की वजह से शिशुओं को संक्रमण या अन्य बीमारियां होना सामान्य है। शिशु के बीमार होने पर परेशान ना हों, उसे डॉक्टर के पास ले जाएं और डॉक्टर की सलाह से शिशु का ध्यान रखें। साथ ही ब्लॉग में बताई गई सावधानियां अपनाकर आप अपने शिशु को इन बीमारियों से सुरक्षित रख सकती हैं।