हर महिला के शरीर में अनेक बदलाव देखने को मिलते हैं। इसी के साथ डिलीवरी के बाद महिला को कई तरह की शारीरिक परेशानियों से भी जूझना पड़ता है। एक महिला जब गर्भधारण करती है तो यह सवाल कहीं ना कहीं मन आता ही है कि उसकी नार्मल डिलीवरी होगी या सिज़ेरियन डिलीवरी (cesarean delivery in hindi)।
अगर महिला को या होने वाले बच्चे को किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो तो ऐसे में सिज़ेरियन डिलीवरी (cesarean delivery in hindi) की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है, और ऐसे में डिलीवरी के बाद मां और शिशु की देखभाल और ध्यान से करनी होती है।
अगर महिला या शिशु को किसी भी तरह का जोखिम नहीं है तो डॉक्टर खुद नॉर्मल डिलीवरी कराने की सलाह देते हैं। लेकिन बहुत बार ऐसा भी होता है कि पूरी गर्भावस्था के दौरान यही लगता है कि महिला की नॉर्मल डिलीवरी होगी लेकिन डिलीवरी के समय ही कई बार ऐसी स्थिति बन जाती हैं जिससे डॉक्टर को तुरंत सिज़ेरियन डिलीवरी (cesarean delivery in hindi) करने का फैसला लेना पड़ता है।
लेकिन डिलीवरी सिज़ेरियन हो या नॉर्मल, दोनों में ही महिला को तकलीफों का सामना तो करना पड़ता ही है। तो आज इस ब्लॉग के ज़रिए आपको डिलीवरी के बाद होने वाली परेशानियों और उससे राहत पाने के उपाय बताएंगे, पढ़िए विस्तार से -
1. डिलीवरी के बाद तनाव
(Delivery ke baad tanav in hindi)
डिलीवरी के बाद (delivery in hindi) ज्यादातर महिलाएं तनाव का शिकार होती हैं जिसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन (postpartum depression in hindi) कहा जाता है। यह समस्या किसी भी महिला को हो सकती है। चाहे उसकी नार्मल डिलीवरी (delivery in hindi) हुई हो या सिज़ेरियन डिलीवरी।
आमतौर पर डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण एक सप्ताह से एक महीने के बीच कभी भी नज़र आ जाते हैं। इसके दो कारण हो सकते हैं- पहला तो ये कि डिलीवरी के बाद महिला की ज़िंदगी में काफी कुछ बदलाव आ जाता है। ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं जिसके चलते महिला को अपनी दिनचर्या में भी बच्चे के रुटीन के हिसाब से बदलाव लाना होता है।
इस कारण उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता और इस वजह से चिड़चिड़ापन होना, मन खराब होना स्वभाविक है, और जिन महिलाओं को पहले से ही अवसाद (depression in hindi) की परेशानी रही है तो उनमें डिलीवरी के बाद इस समस्या के बढ़ने की संभावना ज्यादा हो जाती है। ऐसे में उन्हें एक अच्छे डॉक्टर की निगरानी में रहकर दवाई लेनी चाहिए।
इसके अलावा अगर डिलीवरी (delivery in hindi) के समय महिला का मिसकैरेज (गर्भपात) हो जाता है तो भी महिला मानसिक परेशानी (depression in hindi) की शिकार हो जाती है।
कई रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि 50 प्रतिशत महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण डिलीवरी से पहले ही शुरू हो जाते हैं।
डिलीवरी के बाद तनाव के लक्षण क्या हैं? (Delivery ke baad tanav ke lakshan kya hai?)
- बार-बार रोना आना
- लगातार मूड में बदलान होना
- चिड़चिड़ापन
- किसी भी काम में मन नहीं लगना
- बेचैनी होना
- खालीपन महसूस होना
- हमेशा दुखी-दुखी रहना
- नींद ना आना
- खुद को नाकाबिल समझना
डिलीवरी के बाद तनाव दूर करने के उपाय (delivery ke baad tanav door karne ke upay)
अगर डिलीवरी के बाद (delivery in hindi) आपको भी ऊपर बताए गए लक्षण नज़र आएं तो यह पोस्टपार्टम डिप्रेशन (postpartum depression in hindi) हो सकता है। इसलिए इस समस्या से उबरने के लिए नीचे बताए तरीकों को अपना सकती हैं।
आराम करें- डिलीवरी के बाद आप जितना हो सके आराम करें। अगर बच्चे की देखभाल करने के कारण आपको आराम नहीं मिलता है तो बच्चे के सोने के दौरान आप भी सोएं और खूब आराम करें और ज्यादा काम ना करें।
मन को शांत रखें- डिप्रेशन में आपको अपने मन को शांत रखना होगा। आप ध्यान लगाएं (meditation in hindi), डॉक्टर की निगरानी में व्यायाम करें, प्राणायाम करें। इससे आपके मन को शांति मिलेगी।
परिवार का सहयोग- डिलीवरी के बाद तनाव (postpartum depression in hindi) में परिवार का सहयोग काफी मायने रखता है। ऐसे समय में ज़रूरी है कि आपका परिवार आपके साथ हो भावनात्मक रूप से आपका पूरी तरह साथ दे। परिवार का साथ, पति का साथ आपको इस समस्या से जल्दी बाहर निकालने में मदद करेगा।
अपनी समस्या को शेयर करें- आप जो भी महसूस कर रही हैं उसे अपने मन में रखकर अंदर ही अंदर घुटें नहीं। अपनी समस्या को घरवालों के साथ, पति के साथ शेयर करें। इससे आपको अच्छा महसूस होगा।
दिमाग के डॉक्टर (मनोचिकित्सक) को दिखाएं- अपनी समस्या के बढ़ने का इंतज़ार ना करें। डॉक्टर के पास जाएं और उनकी निगरानी में रहकर सही इलाज लें। अगर आपको पहले से ही डिप्रेशन की समस्या है तो डॉक्टर से संपर्क करने में देरी ना करें। यह समस्या हार्मोनल परिवर्तन के कारण भी होती है इसलिए डॉक्टर आपको हार्मोनल संबंधी इलाज भी दे सकते हैं।
सकारात्मक सोच बनाएं- इस बात को हमेशा ध्यान में रखें कि कोई भी समस्या हमेशा के लिए नहीं आती। इसलिए अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं और यही सोचें कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। आप सकारात्मक चीज़ों में ध्यान लगाएं। जो काम करना आपको सबसे अच्छा लगता है वही करें।
2. डिलीवरी के बाद योनि का छिलना
(Post delivery vaginal injury in hindi)
चूंकि नॉर्मल डिलीवरी (delivery in hindi) में बच्चा योनि मार्ग से बाहर आता है जिस कारण महिला की योनि को काफी चोट पहुंचती है। इस घाव को ठीक होने में कुछ दिनों का समय लग जाता है और कुछ दिनों बाद सही देखभाल से यह खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है।
3. डिलीवरी के बाद योनि में सूखापन
(Delivery ke baad yoni me sukhapan)
डिलीवरी के बाद महिला को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, योनि में सूखापन भी उनमें से एक है। एस्ट्रोजन एक सेक्स हार्मोन है और योनि को चिकनाई देने में इसका अहम योगदान होता है। डिलीवरी के बाद स्तनों में दूध बनाने के लिए माँ का शरीर एस्ट्रोजन हार्मोन (estrogen hormone in hindi) का उत्पादन कम कर देता है, इसलिए एस्ट्रोजन की कमी की वजह से उसकी योनि में चिकनाहट कम हो जाती है।
अगर आप इस समस्या से परेशान हैं, तो सेक्स के दौरान प्राकृतिक चिकनाई जैसे कैनोला ऑयल का उपयोग कर सकती हैं। इसके अलावा कंडोम का उपयोग करना भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह सेक्स को आसान बनाने के साथ आपको गर्भधारण से भी बचाता है।
4. डिलीवरी के बाद संक्रमण
(Post delivery vaginal infection in hindi)
नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिला को योनि संक्रमण (vaginal infection in hindi) होना काफी सामान्य है। इसलिए डिलीवरी के बाद भी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। इसके अलावा किडनी संक्रमण (kidney infection in hindi), गर्भाशय संक्रमण की समस्या भी देखने को मिलती हैं। अगर ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और सही इलाज लें।
5. डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग
(Post delivery bleeding in hindi)
प्रसव के बाद महिला को कई दिनों तक भारी ब्लीडिंग होती है, जो कि करीब 40 दिनों तक होती है। अगर डिलीवरी (delivery in hindi) के दौरान ब्लीडिंग नहीं होती है तो योनि में रक्त के थक्के जम सकते हैं जो बहुत नुकसानदायक होते है। अगर आपको डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग नहीं हो रही तो डॉक्टर को दिखाने में देरी ना करें।
6. डिलीवरी के बाद पीरियड्स की परेशानी
(Irregular period after delivery in hindi)
डिलीवरी के बाद जब महिलाओं में योनि से खून का रिसाव बन्द हो जाता है, तब उनका मासिक धर्म फिर से सामान्य होने में थोड़ा समय लगता है। स्तनपान कराने के दौरान महिला के यौन हार्मोन (estrogen hormone in hindi) का संतुलन बिगड़ने की वजह से उसका मासिक धर्म अनियमित रहता है। कुछ महिलाओं में दो से तीन महीने बाद ही मासिक धर्म सामान्य हो जाता है, जबकि कुछ महिलाओं का मासिक धर्म सामान्य होने में छह माह से एक साल तक का समय भी लग सकता है।
7. डिलीवरी के बाद वज़न बढ़ना
(Weight gain after delivery in hindi)
डिलीवरी के बाद महिला का वज़न बढ़ना भी सामान्य है। अधिकतर देखा गया है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं दोगुनी मात्रा में कैलोरी लेना शुरू कर देती हैं जिस कारण उनका वज़न बढ़ जाता है। इसके अलावा पूरे नौ महीने तक बहुत कम शारीरिक काम करना भी वज़न बढ़ने का एक कारण हो सकता है। वहीं कुछ महिलाएं डिलीवरी के बाद तनाव में रहती हैं जो वज़न बढ़ने का मुख्य कारण हो सकता है।
डिलीवरी के बाद वज़न कम करने के घरेलू उपाय (Delivery ke baad wajan kam karne ke upay) डिलीवरी के बाद वज़न कम करने के लिए आप इन तरीकों को अपना सकती हैं -
- खानपान पर ध्यान दें। प्रोटीन जैसे (पनीर, दालें) और फाइबरयुक्त (दलिया, ओट्स) आदि भोजन खाएं।
- खाना एक बार इकट्ठा खाने की बजाय थोड़ा-थोड़ा करके चार से पांच बार में खाएं।
- रोज़ाना 8 से 10 ग्लास पानी पिएं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें। इसके लिए आप सुबह शाम सैर (morning walk and evening walk) पर जा सकती हैं।
- भरपूर नींद लें।
8. डिलीवरी के बाद बाल झड़ना
(Post delivery hair fall in hindi)
डिलीवरी के बाद महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या (hair fall after pregnancy in hindi) काफी देखने को मिलती है। डिलीवरी के बाद बाल झड़ने की समस्या से आप परेशान ना हों। यह बाल इसलिए झड़ते हैं क्योंकि पूरी प्रेगनेंसी में आपका एस्ट्रोजन (estrogen in hindi) का स्तर बढ़ा हुआ होता है और इस वजह से प्रेगनेंसी के दौरान बाल कम झड़ते हैं, और जैसे ही डिलीवरी के बाद आपका एस्ट्रोजन (estrogen in hindi) का स्तर कम होने लगता है तो वो बाल इकट्ठे झड़ने लगते हैं।
डिलीवरी के बाद बाल झड़ने के उपाय (Delivery ke baad baal jhadne ke upay)
तनाव से बचें- तनाव कई रोगों की जड़ है और इस कारण बाल भी झड़ने (hair fall in hindi) लगने लगते हैं। तनाव के कारण डिलीवरी के बाद ही नहीं बल्कि सामान्य दिनों में भी बाल झड़ते हैं। इसलिए ज्यादा सोचें नहीं और तनाव से दूर रहने की कोशिश करें।
कसकर बाल ना बांधें- आप बालों को ज्यादा कसकर ना बांधें। इससे बाल खिंचते हैं और टूटने लगते हैं।
पौष्टिक आहार खाएं- बालों को झड़ने (hair fall in hindi) से रोकने के लिए सही पौष्टिक खानपान लेना ज़रूरी है। अपने खाने में प्रोटीन (protein in hindi) शामिल करें। पनीर, दालें, सूखे मेवे आदि ज़रूर खाएं।
बार-बार कंघी ना करें- अाप बालों में बार-बार कंघी ना करें। इससे बालों की जड़ें कमज़ोर होती हैं और ये झड़ने लगते हैं।
9. डिलीवरी के बाद स्तनों से जुड़ी समस्या
(Delivery ke baad breast problem in hindi)
महिला को प्रसव के बाद स्तनों में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है (breast problem in hindi)। जिनमें से स्तनों का कड़ा हो जाना, स्तनों में सूजन, स्तनों में दूध जम जाना या रुक जाना आदि आम हैं।
10. डिलीवरी के बाद स्तनों का ढीलापन
(Delivery ke baad breast ka dhilapan)
कई माँओं को लगता है कि डिलीवरी के बाद शिशु को स्तनपान (stanpan) कराने की वजह से उनके स्तन ढीले हो गए हैं या उनके स्तनों का आकार बदल गया है। असल में ऐसा नहीं होता है, आपके स्तनों में ये बदलाव आपकी गर्भावस्था की शुरुआत से ही होने लगते हैं। गर्भावस्था के दौरान स्तनों का आकार बढ़ता है, इससे स्तनों के उत्तक (breast tissue in hindi) खिंचकर ढीले हो जाते हैं और स्तन लटकने लगते हैं।
डिलीवरी के बाद स्तनों का ढीलापन दूर करने के छह उपाय (Breast ka dhilapan ya sagging dur karne ke 6 upay)
डिलीवरी के बाद स्तनों का ढीलापन दूर करने के लिए आप ये छह उपाय आज़मा सकती हैं -
- स्तनों को अच्छी तरह सहारा देने वाली ब्रा पहनें।
- अपना वजन नियंत्रित रखें और ज्यादा बढ़ने ना दें।
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
- स्तनों की नियमित रूप से मालिश करें, इसके लिए बाजार में उपलब्ध स्तनों की विशेष क्रीम का उपयोग कर सकती हैं।
- स्तनों की त्वचा में नमी बनाए रखें, इसके लिए स्तनों पर त्वचा में नमी बनाए रखने वाली क्रीम (मॉइश्चराइजर) लगाएं।
- एक साथ वज़न कम ना करें, ऐसा करने से आपके स्तनों का ढीलापन और ज्यादा बढ़ सकता है। इसलिए अपना वजन धीरे धीरे घटाएं। यही आपके लिए सबसे बेहतर होगा।
11. डिलीवरी के बाद पेशाब करने में परेशानी
(Delivery ke baad peshab karne me pareshani)
नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिला को पेशाब करने में भी काफी दिक्कत होती है क्योंकि डिलीवरी के दौरान योनि की जगह का हिस्सा छिल जाता है और वह क्षेत्र काफी घायल हो जाता है, जिस कारण महिला को पेशाब करने में काफी दिक्कत होती है।
12. डिलीवरी के बाद पीठ और कमर में दर्द
(Delivery ke baad peeth aur kamar me dard)
डिलीवरी के बाद महिला को पीठ और कमर में दर्द होना भी काफी सामान्य है। डिलीवरी के बाद (delivery in hindi) पीठ में दर्द गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए गर्भाशय के खिंचाव और प्रसव पीडा़ के दौरान मांसपेशियों कमज़ोर हो जाती हैं जिससे नसों पर दबाव पड़ने से होता है। इसके अलावा शिशु को दूध पिलाते समय झुके रहने से भी आपकी पीठ में दर्द होता है।
डिलीवरी के बाद पीठ दर्द का इलाज क्या है? (Delivery ke baad peeth dard ka ilaj kya hai?)
- जब भी आप शिशु का स्तनपान कराएं तो झुककर ना बैठें। अपनी कमर के पीछे तकिया लगाएं और पीठ सीधी करके शिशु को ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) कराएं।
- सही खानपान लें- आप डिलीवरी के बाद हमेशा प्रोटीन (protein in hindi), कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate in hindi), फायबरयुक्त (fibre in hindi) डायट का पालन करें। अपने खानपान में फल, हरी सब्जियों आदि को ज़रूर शामिल करें।
- नियमित रूप से मालिश कराएं - डिलीवरी के बाद (delivery in hindi) महिला का शरीर काफी कमज़ोर हो जाता है, जिस कारण पीठ में दर्द होना लाज़मी है। ऐसे में नियमित रूप से मालिश रामबाण का काम करती है। इसके अलावा भारी सामान उठाने से बचें।
- इस तरह झुकें - अगर आपको बच्चे को नहलाते वक्त या किसी ज़रूरी काम को करते वक्त झुकना पड़े तो कोशिश करें कि आप घुटने के बल बैठकर काम करें।
13. डिलीवरी के बाद सूजन
(Delivery ke baad sujan)
डिलीवरी के बाद (delivery in hindi) महिलाओं को सूजन की समस्या होना भी आम बात है। खासतौर पर डिलीवरी के बाद पैर, टखनों और पेट पर सूजन आना काफी सामान्य है।
डिलीवरी के बाद सूजन के कारण (Delivery ke baad sujan ke karan)
- लंबे समय तक खड़े रहना
- ज्यादा काम करना
- ज्यादा चाय या कॉफी पीना
- गर्म और नमी वाला मौसम
डिलीवरी के बाद सूजन से कैसे कम करें? (Delivery ke baad sujan kaise kam kare?)
खूब पानी पिएं- अगर डिलीवरी के बाद आपको शरीर में सूजन आने की समस्या है तो पानी में कोई कमी ना छोड़ें। शरीर में बनें अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर लाने के लिए आपको ढेर सारा पानी पीना होगा। पानी पीने से पेशाब के ज़रिए धीरे-धीरे आपकी सूजन कम होने लगेगी।
संतुलित आहार लें- सूजन से छुटकारा पाने के लिए आपको संतुलित आहार लेना होगा। अपने खानपान में प्रोटीन (protein in hindi), कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate in hindi), फाइबर युक्त (fibre in hindi) आहार शामिल करें।
मालिश करें- एक अच्छी मालिश अनेक रोगों में फायदा पहुंचाती है। अगर डिलीवरी के बाद सूजन से परेशान हैं या चाहते हैं कि सूजन ना बढ़े तो आप नियमित रूप से मालिश कराएं। मालिश से आपकी सूजन कम होने लगेगी।
इसके लिए आप पैरों के तलवे से मालिश शुरू कराएं और फिर ऊपर की ओर जाएं। आप बादाम के तेल से मालिश करेंगी तो फायदा पहुँचेगा। आप चाहें तो तिल के तेल या सरसों के तेल से भी मालिश करवा सकती हैं।
गर्म पानी का सेक- डिलीवरी के बाद (delivery ke baad) पैरों में सूजन से राहत पाने के लिए हल्के गुनगुने पानी में थोड़ी देर के लिए इस पानी में अपने पैरों को डुबोएं। इससे आपके पैरों का रक्त संचार सुधरेगा और नसें खुलेंगी और पैरों से सूजन दूर होगी।
14. डिलीवरी के बाद त्वचा सम्बंधी समस्याएं
(Delivery ke baad skin problems)
डिलीवरी के बाद माँ को त्वचा से जुड़ी समस्याएं होना सामान्य है। प्रसव के बाद माँ को मुँहासे, दाग धब्बों की समस्या हो जाती है, इनकी मुख्य वजह हार्मोनों (hormones in hindi) का असंतुलन होता है। बच्चे के जन्म के कुछ सप्ताह बाद ये त्वचा सम्बंधी समस्याएं अपने आप कम होने लगती हैं। अगर आप अपनी त्वचा को लेकर ज्यादा चिंतित हैं, तो डॉक्टर की सलाह लें।
15. डिलीवरी के बाद स्ट्रेच मार्क्स
(Delivery ke baad stretch marks)
प्रसव के बाद हर महिला को स्ट्रेच की समस्या (stretch marks in hindi) से गुज़रना पड़ता है। प्रेगनेंसी के दौरान पेट पर ऐसे निशान पड़ जाते हैं जो बहुत मुश्किल से दूर होते हैं। यह गर्भावस्था में पेट पर पड़े खिंचाव के कारण होते हैं जो डिलीवरी के बाद ज्यादा उभरकर नज़र आते हैं। ज्यादातर यह स्ट्रेच मार्क्स (stretch marks in hindi) पेट के निचले हिस्से पर और जांघों पर नज़र आते हैं।
आइए जानते हैं स्ट्रेच मार्क्स हटाने के घरेलू नुस्खे (Stretch marks hatane ke gharelu nuskhe)
ऐलोवीरा जेल (aloe vera for stretch marks in hindi)- एलोवीरा जेल को सोते समय लगाएं और रात भर के लिए छोड़ दें और सुबह इसे ठंडे पानी से धो लें। लगातार कुछ दिनों तक ऐसा करने से निशान हल्का पड़ने लगेगा।
बायो ऑयल (bio oil for stretch marks in hindi)- डिलीवरी के बाद स्किन पर स्ट्रैच मार्क्स कम करने के लिए बायो ऑयल (bio oil) का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
विक्स वेपोरब (vicks vaporub for stretch marks in hindi)- थोड़ा सा विक्स वेपोरब अपनी उंगलियों पर लें और निशान पर लगाकर एक दो मिनट तक मसाज करें। फिर उसे प्लास्टिक की पतली पन्नी की मदद से ढक दें और कुछ घंटों के लिए ऐसे ही रहने दे। कुछ दिनों तक लगातार ऐसा करें।
अरंडी का तेल (castor oil for stretch marks in hindi)- अरंडी के तेल को हल्का गुनगुना करके रोजाना रात को निशान पर लगाएं।
विटामिन ई का तेल (vitamin E oil for stretch marks in hindi)- विटामीन ई के कैप्सूल आपको बाज़ार में आसानी से मिल जाएंगे। इसे काटकर इसका तेल निकालें और रोज़ाना निशान पर लगाएं।
बादाम का तेल (almond oil for stretch marks in hindi)- बादाम के तेल से रोज़ाना मालिश करें, स्ट्रेच मार्क्स से राहत मिलेगी।
नींबू का रस (lemon juice in hindi)- नींबू में प्राकृतिक ब्लीच के गुण होते हैं जो निशान कम करने में मदद करता है। आप रोज़ाना स्ट्रैच मार्क्स पर नींबू का रस दिन में एक बार लगाएं या नींबू का छिलका इन निशान पर रगड़ें और 20 मिनट बाद इसे धो लें।
आलू का रस (potato for stretch marks in hindi)- आलू का रस भी स्ट्रैच मार्क्स कम करने में मदद करता है। आप आलू को घिसकर उसका रस निकाल लें और निशान पर आधे घंटे बाद इसे धो लें। ऐसा रोज़ाना करें।
बेबी ऑयल (baby oil for stretch marks in hindi)- गर्म पानी से स्नान करने के बाद त्वचा को सुखाएं और बेबी ऑयल से मसाज करें।
बेकिंग सोडा (baking soda for stretch marks in hindi)- एक चम्मच बेकिंग सोडा में एक नींबू का रस मिलाएं और इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाकर प्लास्टिक की पतली पन्नी से 20 से 25 मिनट के लिए ढक दें। 25 मिनट बाद इसे खोल दें और इसे गर्म पानी से साफ कर लें। स्ट्रेच मार्क्स हटाने के लिए रोज़ाना यह उपाय अाज़माएं।
जैतून का तेल (olive oil for stretch marks in hindi)- रोज़ाना जैतून के तेल से मसाज करने पर भी स्ट्रेच मार्क्स हल्के करने में मदद मिलेगी।
आप कोशिश करें कि स्ट्रैच मार्क्स का इलाज आप तभी कर लें जब वो लाल हों, सफेद होने के बाद यह काफी मुश्किल से दूर होते हैं।
16. डिलीवरी के बाद कब्ज की समस्या
(Delivery ke baad kabj ki samasya)
डिलीवरी के बाद ज्यादातर माँएं कब्ज की समस्या से परेशान रहती हैं। इस समस्या में माँ का पाचन तंत्र सही से काम नहीं कर पाता है और मल बहुत ज्यादा कठोर हो जाता है। इस वजह से कब्ज की समस्या में, शौच करते समय गुदाद्वार में दर्द होता है और शौच में खून भी आ सकता है। अगर सही समय पर कब्ज का उपचार ना करवाया जाए तो माँ को डिलीवरी के बाद बवासीर की समस्या भी हो सकती है।
डिलीवरी के बाद कब्ज क्यों होता है? (Delivery ke baad kabj kyun hoti hai)
- अगर आपकी प्रसवपीड़ा (labour in hindi) लंबे समय तक चली है और इस दौरान आपने कुछ नहीं खाया तो आपको कब्ज की समस्या हो सकती है।
- प्रसव के बाद दर्द निवारक दवाएँ जैसे मॉर्फिन लेने से पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और आपको कब्ज की समस्या हो सकती है।
- भोजन में आयरन की मात्रा ज्यादा होना भी कब्ज की एक वजह हो सकती है।
डिलीवरी के बाद कब्ज कैसे दूर करें? (Delivery ke baad kabj kaise dur kare)
- भोजन में फाइबर युक्त पदार्थ जैसे दलिया, फल आदि शामिल करें।
- दिनभर में खूब पानी पीयें।
- सुबह शाम थोड़ा थोड़ा चलना शुरू करें।
- जब भी बाथरूम जाने का मन हो, तुरंत जायें।
- अगर समस्या ज्यादा है, तो डॉक्टर की सलाह लें। डॉक्टर आपको मल ढीला करने की दवा दे सकते हैं।
डिलीवरी के बाद बवासीर की समस्या (Delivery ke baad piles ki problem)
कब्ज की समस्या ज्यादा बढ़ने से या कब्ज का उपचार ना करवाने से महिला को प्रसव के बाद बवासीर की समस्या हो सकती है। गुदाद्वार के बाहर या अंदर की तरफ खून की नसों के इकट्ठा होने व सूजन को बवासीर (piles in hindi) कहा जाता है। बवासीर की वजह से गर्भवती को बैठने व शौच करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आपको बवासीर में बहुत दर्द और खुजली की समस्या भी हो सकती है और मलत्याग के समय गुदा से खून भी बह सकता है। अगर आपको गर्भावस्था के दौरान ही बवासीर हुआ है, तो यह शिशु के जन्म के कुछ माह बाद ठीक हो सकता है।
डिलीवरी के बाद बवासीर क्यों होता है? (Delivery ke baad bavasir kyun hota hai)
- गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन (progesterone hormone) का स्तर बढ़ने से नसें नर्म हो जाती हैं, जिससे ये आसानी से सूजकर बवासीर में बदल जाती हैं।
- कब्ज होने पर मलत्याग के लिए ज्यादा जोर लगाने से आपको बवासीर हो सकता है।
- डिलीवरी के समय ज्यादा जोर से पुश करने से माँ को बवासीर की समस्या हो सकती है।
- गर्भाशय का आकार बढ़ने की वजह से पैल्विक की नसों पर बढ़ाव बढ़ने की वजह से गुदाद्वार की नसें सूजकर बाहर निकल सकती हैं।
डिलीवरी के बाद बवासीर का उपचार क्या है? (Delivery ke baad piles ka ilaj kya hai)
- दिनभर में आठ से दस गिलास पानी पीयें।
- एक छोटी लाल प्याज को बारीक काटें और उसमें एक चम्मच चीनी मिलायें। इसे दिन में दो बार खाने से बवासीर की सूजन, दर्द और मल में खून की समस्या से राहत मिलती है।
- अपने भोजन में फाइबर पर्याप्त मात्रा में लें, इसके लिए फल व सब्जियाँ खाएं।
- बवासीर की समस्या से राहत के लिए डॉक्टर से सम्पर्क करें। आमतौर डॉक्टर आपको गुदा पर लगाने की क्रीम और मल को नर्म करने की दवा देते हैं।
- उचित सावधानी और परहेज अपनाकर आप बवासीर की समस्या से जल्दी छुटकारा पा सकती हैं।
यूं तो हर महिला के शरीर की स्थिति अलग होती है और ज़रूरी नहीं कि जो समस्या एक महिला को हो रही है वही समस्या दूसरी महिला को भी हो। आपके स्वास्थ्य पर निर्भर करती है आपकी शारीरिक समस्या। यह कुछ आम समस्याएं थीं जो अधिकतर महिलाएं डिलीवरी के बाद झेलती हैं। लेकिन ऐसे में आप संयम बरतें और डॉक्टर की सलाह मानते हुए अपनी समस्या से छुटकारा पाएं।