सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा जल्दी से जल्दी शौचालय का उपयोग करना सीख ले। इसलिए वो उसके दो से तीन साल का होने के साथ ही, उसकी टॉयलेट ट्रेनिंग या शौचालय प्रशिक्षण शुरू कर देते हैं। यह सुनने में भले ही बेहद आसान लगे, लेकिन असल में बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
इस दौरान बच्चे व आप को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। मगर, इनसे घबराने के बजाय आपको उनका हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग (potty training in hindi) बहुत ज़रूरी होती है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
इस ब्लॉग में हम आपको बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) के दौरान सामने आने वाली समस्याओं व उनसे निपटने के आसान उपायों के बारे में बता रहे हैं। इनसे आपको काफी मदद मिल सकती है।
1. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: बच्चा माँ या पिता के सामने ही शौचालय का उपयोग करता है
(Bacha maa ya papa ke samne hi toilet use karta hai)
कुछ खुशनसीब माता-पिताओं के बच्चे कहीं भी- कभी भी शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हो जाते हैं। मगर, उनकी बस एक ‘छोटी-सी’ शर्त होती है- इस दौरान माता या पिता में से कोई एक उनके साथ होना चाहिए।
समाधान: ऐसा होना सामान्य है क्योंकि बच्चा आपके साथ सुरक्षित महसूस करता है। उसे अकेला छोड़ने या किसी अन्य व्यक्ति के साथ शौचालय भेजने के बजाय धीरे-धीरे खुद को इस प्रक्रिया से अलग करें।
उदाहरण के लिए- आप उसके कपड़े उतारने में उसकी मदद करें और बाथरूम के दरवाजे तक उसके साथ जाएं। फिर दरवाज़ा खुला रखते हुए उसे टॉयलेट सीट का उपयोग करने के लिए कहें। उसे बताएं कि आप यहीं उसके साथ हैं, वो कोई भी परेशानी महसूस होने पर आपको आवाज़ देकर बुला सकता है।
2. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: बच्चा टॉयलेट में ‘छीछी’ कर लेता है, लेकिन ‘सूसू’ नहीं करता
(Bacha toilet me potty kar leta hai, lekin peshab nahi karta)
कुछ बच्चे पॉटी आने पर अपने माता-पिता को बता देते हैं और बिना किसी परेशानी के शौचालय का उपयोग कर लेते हैं। मगर, वह पेशाब आने पर ऐसा नहीं कर पाते और कपड़े गीले कर लेते हैं।
समाधान: बच्चे अपनी गुदा और मलाशय की मांसपेशियों पर जल्दी नियंत्रण हासिल कर लेते हैं, लेकिन उन्हें पेशाब की थैली व मूत्रमार्ग की मांसपेशियों को नियंत्रित करना सीखने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है। इसलिए ऐसा होना सामान्य है। इसे ध्यान में रखते हुए अपने बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग (potty training in hindi) दें।
कुछ ही हफ़्तों में यह दौर गुज़र जाएगा और वह सामान्य रूप से टॉयलेट का उपयोग करना सीख जाएगा।
3. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: बच्चा ‘छीछी’ करने के बाद उससे खेलने की कोशिश करता है
(Bacha potty karne ke baad usse khelne ki koshish karta hai)
हम सभी जानते हैं कि बच्चे बेहद जिज्ञासु होते हैं और वो हर चीज को करीब से जानने की कोशिश करते हैं। मगर, कुछ बच्चे ज्यादा ही उत्सुक या जिज्ञासु होते हैं और वो अपने मल से ही खेलने की कोशिश करते हैं।
समाधान: बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) की इस समस्या का कोई खास हल नहीं है। उसे डांटें या उस पर चिल्लाएं नहीं, इससे वह रोने लग सकता है। इसके बजाय अगर आप उसे प्यार से ऐसा करने के लिए मना करें, तो शायद वो आपकी बात मान जाए।
4. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: आपका बेटा बैठकर पेशाब करने की ज़िद करता है
(Apka beta baithkar peshab karne ki zid karta hai)
टॉयलेट ट्रेनिंग (potty training in hindi) के शुरुआती दौर में लड़कों का ऐसा करना सामान्य है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसा करने की मुख्य वजह यह होती है कि उन्हें खड़े होकर पेशाब करने में असहज महसूस होता है या उन्हें बैठकर पेशाब करना पसंद होता है।
समाधान: शुरुआत में उसे वो जैसे चाहे वैसे पेशाब करने दें। जब वह टॉयलेट का इस्तेमाल करना अच्छी तरह से सीख ले, तब उसके पिता या बड़े भाई की मदद से उसे सिखाएं कि लड़के कैसे पेशाब करते हैं। इसके अलावा अपनी उम्र के अन्य बच्चों को खड़े होकर पेशाब करते हुए देखकर, वह भी ऐसा करना सीख सकता है।
5. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: आपकी बेटी खड़ी होकर पेशाब करने की ज़िद करती है
(Apki beti khadi hokar peshab karne ki zid karti hai)
कुछ लड़कियां अपनी टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) के दौरान खड़ी होकर पेशाब करना ज्यादा पसंद करती हैं। आमतौर वो ऐसा अपने बड़े भाई या पापा को देखकर करती है। अगर उन्हें रोकने की कोशिश करो, तो वो नाराज़ हो जाती हैं।
समाधान: बार बार रोकने से बच्चे ज्यादा ज़िद्दी हो सकते हैं, इसलिए उसे ऐसा करने दें। जब खड़ी होकर पेशाब करने से उसके कपड़े गीले हों, तब उसे प्यार से समझाएं कि उसे ऐसे पेशाब नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही, उसकी माँ को उसे दिखाना चाहिए कि लड़कियां कैसे पेशाब करती हैं।
6. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: बच्चा छीछी करने के लिए डायपर मांगता है
(Bacha potty karne ke liye diaper mangta hai)
टॉयलेट ट्रेनिंग (potty training in hindi) के दौरान कई बच्चे शौच करने के लिए शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं। इसके बजाय वो अपने माता-पिता से डायपर मांगते हैं और किसी कोने में जाकर उसमें छीछी करना पसंद करते हैं।
समाधान: इससे पता चलता है कि आपका बच्चा शारीरिक रूप से टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) के लिए तैयार है, लेकिन वह अभी मानसिक रूप से इसके लिए तैयार नहीं है। इससे निराश होने के बजाय इस बात की खुशी मनाइए कि अब बच्चा पॉटी लगने पर आपको बताने लगा है।
उसे डायपर पहनाने के बाद बाथरूम में छीछी करने के लिए कहें। जब उसे इसकी आदत पड़ जाए, तब उसे डायपर पहनाने के बाद टॉयलेट सीट पर बैठकर पॉटी करने के लिए कहें। फिर धीरे धीरे उसे बिना डायपर के टॉयलेट सीट पर बैठकर छीछी करना सिखाएं।
7. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: बच्चा टॉयलेट सीट से उठने के बाद शौच करता है
(Bacha toilet seat se uthne ke baad potty karta hai)
कुछ बच्चे ‘अच्छे बच्चों’ की तरह अपने माता-पिता की बात मानकर टॉयलेट सीट पर बैठ तो जाते हैं, लेकिन वो वहां पॉटी या पेशाब नहीं करते हैं। इसके बजाय वो वहां से उठने के तुरंत बाद ऐसा कर देते हैं।
समाधान: आमतौर पर ऐसा टॉयलेट ट्रेनिंग (potty training in hindi) की शुरुआत में होता है। आपके बच्चे को अपने मूत्राशय व मलाशय की मांसपेशियों को नियंत्रित करना सीखने में थोड़ा समय लग सकता है। अगर बार बार ऐसा हो रहा है, तो इसका मतलब है कि वह अभी टॉयलेट ट्रेनिंग के लिए सही ढंग से तैयार नहीं है।
8. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: बच्चा टॉयलेट सीट पर बैठने से डरता है
(Bacha toilet seat par baithne se darta hai)
जब बच्चा पेशाब या मलत्याग करने के लिए टॉयलेट सीट पर बैठने से डरता है, तो उसे टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) देना काफी मुश्किल होता है। टॉयलेट सीट के बड़े मुँह की वजह से बच्चे को उसमें गिरने का डर लगता है और कुछ बच्चे फ्लश की आवाज़ से भी डरते हैं।
समाधान: अगर बच्चा टॉयलेट सीट के बड़े मुँह की वजह से डरता है, तो आप उसके लिए एक टॉयलेट चेयर कवर खरीद सकते हैं। यह टॉयलेट सीट के बड़े मुँह को ढककर छोटा कर देता है। इससे वो आराम से वहां बैठ पाएगा।
अगर बच्चा फ्लश की वजह से डरता है और उसे लगता है कि वह उसमें गिर जाएगा, तो उसका डर दूर करने की कोशिश करें। इसके लिए कागज़ के बेकार टुकड़ों की छोटी-छोटी गोलियां बनाएं। अब बच्चे को शौचालय में ले जाएं और गोलियों को उसके सामने टॉयलेट में डालकर फ्लश करें। उसे समझाएं कि टॉयलेट में बेकार चीजें ही फ्लश होती हैं, इसलिए डरने वाली कोई बात नहीं है।
9. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: बच्चा उसकी छीछी को फ्लश करने पर रोता है
(Bacha potty ko flush karne par rota hai)
टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) के दौरान कुछ बच्चे शौचालय का उपयोग करना तो सीख लेते हैं, लेकिन बस एक ही बात की कमी रह जाती है। वो छीछी करने के बाद उसे पानी डालकर फ्लश करना पसन्द नहीं करते हैं। वो मल को अपने शरीर का ही एक भाग मानते हैं और उसे अपनी नज़रों से दूर करने में उन्हें दुख होता है।
समाधान: इतनी कम उम्र में बातों के ज़रिए बच्चे को यह समझा पाना आपके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है कि ये उसके शरीर का अपशिष्ट या गंदगी है और इसे बाहर निकालना ज़रूरी है। आप इसकी तुलना पेशाब या नाक की गंदगी से करके उसे यह बात समझा सकते हैं। उफ्फ, बच्चों की ख़ातिर माता-पिता को क्या क्या करना पड़ता है!
10. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: बच्चा टॉयलेट ट्रेनिंग का विरोध करता है
(Bacha potty training ka virodh karta hai)
कई मामलों में बच्चा टॉयलेट सीट पर बैठना पसंद नहीं करता है और टॉयलेट ट्रेनिंग का विरोध करता है। ऐसी स्थिति सामने आने पर माता-पिता काफी परेशान हो सकते हैं।
समाधान: अगर बच्चा टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) का विरोध कर रहा है और इसमें आपकी मदद नहीं कर रहा है तो इसका मतलब यह है कि अभी वह इसके लिये पूरी तरह से तैयार नहीं है। जब भी आपको लगे कि वह पेशाब या मलत्याग करने वाला है, तो उसे बाथरूम में ले जाकर टॉयलेट सीट पर बिठाएं। उसे वहां कुछ देर के लिए ही बिठाएं। उसे समझाएं की बाथरूम में सूसू और छीछी करना क्यों जरूरी है। अगर फिर भी वह विरोध करे, तो जबरदस्ती ना करें।
11. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: बच्चा रात को सोते समय बिस्तर गीला करता है
(Bacha raat ko sote samay bistar gila karta hai)
ज्यादातर माता-पिता यही शिकायत करते हैं कि उनका बच्चा टॉयलेट ट्रेनिंग (potty training in hindi) देने के बावजूद रात को बिस्तर गीला करता है। असल में, छोटे बच्चों की पेशाब की थैली अपरिपक्व होने की वजह से पेशाब को कुछ घण्टे से ज्यादा रोककर नहीं रख पाती है। इसलिए वो रात को सोते समय बिस्तर गीला कर देते हैं।
समाधान: बच्चों की पेशाब की थैली को परिपक्व होने में थोड़ा समय लगता है। तब तक इस समस्या को कम करने के लिए बच्चे को सोने से पहले पेशाब करने के लिए प्रेरित करें। साथ ही, सुबह उठते ही सबसे पहले उसे पेशाब करवाएं। उसे कहें कि अगर वह रात को जागे, तो टॉयलेट में पेशाब करके आए या आपको मदद के लिए बुला ले।
बच्चे को अकेले बाथरूम जाने में डर ना लगे, इसलिए रात को वहां की कुछ लाइटें जलाकर रखें।
12. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: कभी-कभी बच्चा कपड़ों में शौच कर देता है
(Kabhi kabhi bacha kapde geele kar deta hai)
टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) के दौरान बच्चे कभी-कभी कपड़ों में शौच कर देते हैं। इसकी वजह से माता-पिता चिड़चिड़े हो सकते हैं, लेकिन बच्चे को यह महसूस ना होने दें। इससे वह उदास व तनावग्रस्त हो सकता है। ऐसा होने पर स्थिति और भी ज्यादा खराब हो सकती है।
समाधान: बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग (potty training in hindi) के दौरान ऐसा होना सामान्य है। इसलिए कपड़े खराब होने पर उसे डांटें नहीं। इसके बजाय जब भी वह टॉयलेट का उपयोग करे और अपने कपड़े खराब ना करे, तो उसे शाबासी दें।
बच्चा जब भी कपड़े गीले करे, तो उसे प्यार से समझाएं कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए। जब भी पेशाब लगे, तो उसे आपको बताना चाहिए या शौचालय में जाकर पेशाब करना चाहिए।
13. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: बच्चा टॉयलेट सीट पर शांति से नहीं बैठता है
(Bacha toilet seat par shant hokar nahi baithta hai)
बच्चे अक्सर हर नई चीज को खिलौना समझ लेते हैं और खेलने लगते हैं। हो सकता है कि आपका बच्चा भी टॉयलेट सीट या पॉटी चेयर के साथ खेलता रहे और इसके आसपास उछलकूद मचाता रहे। ऐसे में, उसे यह समझाना काफी मुश्किल हो सकता है कि ये खेलने की वस्तुएं नहीं हैं और इनका उपयोग कैसे करना है।
समाधान: बच्चे को एक जगह शांति से बिठाकर रखने में एक तरीका आपके काम आ सकता है- उसे किसी ऐसी मज़ेदार गतिविधि में व्यस्त कर दें, जिसे वह सीट पर बैठे-बैठे कर सके। उदाहरण के तौर पर, आप उसे कोई कहानी सुना सकते हैं या कोई छोटा सा खिलौना दे सकते हैं, जिसे हाथ मे लेकर वो बैठे-बैठे खेल सके।
बच्चे को पांच से दस मिनट से ज्यादा समय तक टॉयलेट सीट पर ना बिठाएं। जब भी वह सही तरह से बैठकर शौच करे, उसकी तारीफ करें। इससे वह आगे भी ऐसा करने के लिए प्रेरित होगा।
14. बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान समस्या: टॉयलेट ट्रेनिंग लेने के कुछ दिनों बाद बच्चा अचानक फिर से डायपर का उपयोग करना चाहता है
(Potty training lene ke kuch dino baad bacha fir se diaper use karna chahta hai)
थोड़े दिन उत्साह से टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) लेने के बाद शौचालय में बच्चे की रुचि कम होना सामान्य है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। कुछ मामलों में तो महीनों तक पेशाब और मलत्याग करने के लिए शौचालय का उपयोग करने के बाद भी, बच्चा अपने कदम पीछे हटाकर फिर से डायपर पहनने की ज़िद कर सकता है।
समाधान: आमतौर पर उसकी दिनचर्या में अचानक किसी तरह का बदलाव होने, घर में नया भाई-बहन आने, स्कूल जाने की शुरुआत होने, बीमार होने या कभी गलती से सार्वजनिक जगह पर सूसू या छीछी निकलने की वजह से वह ऐसा कर सकता है। इसलिए आप अपने बच्चे के टॉयलेट ट्रेनिंग (potty training in hindi) को बीच में छोड़ने की वजह ढूंढें और उसकी दिनचर्या को फिर से नियमित बनाने की कोशिश करें।
टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) में बच्चे की रुचि फिर से जगाने के लिए आप कोई नई तरकीब आज़माएँ। उदाहरण के लिए, आप उसे एहसास करवाएं कि अब वो बड़ा हो गया है या उसे कुछ नए तोहफे जैसे- एक अतिरिक्त कहानी सुनाना, कुछ अच्छा खाना, नई अंडरवियर या खिलौने आदि दें।
टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान सामने आने वाली समस्याओं से निपटने के उपाय
(Toilet training ke dauran samne aane vali samasyao se nipatne ke upay)
बच्चे को शौचालय का उपयोग करना सिखाते समय सामने आने वाली समस्याओं का सामना करने के लिए आप निम्न उपाय आज़मा सकते हैं-
बच्चे से हर वक़्त टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) के बारे में बात ना करें। उसे खुद तय करने दें कि वह कब बाथरूम का उपयोग करना चाहता है।
बच्चे को शौचालय का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने के लिए सही तरीके आज़माएँ। उसे ज्यादा महंगे तोहफे ना दें। साथ ही, इस दौरान उसकी हर छोटी-बड़ी उपलब्धि पर उसे ढेर सारी शाबासी ज़रूर दें।
बच्चे पर पॉटी करने का दबाव ना बनाएं। शौच करते समय ज्यादा उसके ज्यादा जोर लगाने की वजह से उसकी गुदा में घाव हो सकते हैं और उसे दर्द हो सकता है।
कब्ज से बचाने के लिए बच्चे को फाइबर से भरपूर भोजन खिलाएं और खूब तरल पदार्थ पिलाएं।
उसकी सफलताओं को कैलेंडर में लिखें। जब भी वह पेशाब या पॉटी करने के लिए बाथरूम का उपयोग करे, तो उसके कैलेंडर में एक सितारा बनाएं या उसे किसी कार्टून कैरेक्टर का स्टिकर दें।
उसे उसकी मनपसन्द अंडरवियर पहनाएं। इससे वह उसमें पेशाब करने में हिचकिचाएगा और बाथरूम का उपयोग करने के लिए प्रेरित होगा।
टॉयलेट ट्रेनिंग (potty training in hindi) के दौरान गलती करने पर बच्चे को कभी भी सज़ा ना दें। इससे चीजें और भी खराब हो सकती हैं। सज़ा देने के बजाय, उसे प्यार से समझाएं।
अगर आपका बच्चा आपकी हर बात मानने से इनकार करता है, तो उसे वह करने को कहें जो आप नहीं करवाना चाहती हैं। जैसे उसे कहें- ‘मुझे खुशी है कि तुम सूसू और छीछी करने के लिए टॉयलेट का उपयोग नहीं कर रहे हो। ऐसा करने पर मुझे तुम्हें थोड़ी ज्यादा देर तक बाहर खेलने देना पड़ता। लेकिन अब तुम टॉयलेट का उपयोग नहीं कर रहे हो, तो तुम कम देर खेल पाओगे। मैं तो बिल्कुल नहीं चाहता या चाहती कि तुम ज्यादा देर तक बाहर खेलो।’ यह तरकीब काम कर सकती है।
ध्यान दें- अगर आपको बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) देने के दौरान ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो कुछ समय के लिए टॉयलेट ट्रेनिंग बन्द कर दें। या फिर, इस बारे में बच्चों के डॉक्टर की सलाह लें।
छोटे बच्चों को शौचालय का उपयोग करना सिखाना वाक़ई एक मुश्किल काम है और इसके लिए आपको बहुत मेहनत और सब्र की ज़रूरत होती है। अपने बच्चे की परेशानियों और मनोभावनाओं को समझकर, आप इस दौरान सामने आने वाली समस्याओं को आसानी से हल कर सकते हैं। लगातार कोशिश करते रहें, धीरे धीरे आपका बच्चा भी शौचालय का उपयोग करने में माहिर हो जाएगा।
हमें उम्मीद है इस लेख से आपको अपने बच्चे की टॉयलेट ट्रेनिंग (toilet training in hindi) के दौरान सामने आने वाली दिक्कतों का सामना करने में मदद मिलेगी। उसके स्वास्थ्य के बारे में किसी भी प्रकार की आशंका या चिंता होने पर उसे बच्चों के डॉक्टर के पास लेकर जाना ना भूलें।