हर नवजात शिशु का विकास अलग ढंग से होता है, लेकिन एक तय समय-सीमा के भीतर ज्यादातर बच्चे कुछ विशेष डवलपमेंट माइलस्टोन्स (विकास से जुड़ी उपलब्धियाँ जैसे चलना, बोलना, लम्बाई व वज़न बढ़ना आदि) तक पहुंच जाते हैं। ज्यादातर बच्चे एक वर्ष के होने तक घुटनों के बल चलना या क्रूज़िंग (चीजों को पकड़ कर खड़े होकर चलना) शुरू कर देते हैं। मगर कुछ बच्चों को चलना सीखने में देरी हो सकती है।
अगर बच्चा अपनी उम्र के बाकी बच्चों के चलना शुरू करने के बाद भी चलने ना लगे, तो उसके माता पिता चिंतित हो जाते हैं। इसलिए इस ब्लॉग में हम आपको बच्चे के चलने में देरी होने से जुड़ी सभी बातें बता रहे हैं।
आमतौर पर, ज्यादातर बच्चे आठ से दस महीने के होने तक बिना सहारे के बैठ व घुटनों के बल चल सकते हैं। इसके बाद 16 महीने का होने तक अधिकांश बच्चे बिना सहारे के चलना सीख लेते हैं। कुछ बच्चे इस मामले में थोड़े पीछे रह जाते हैं और करीब 18 महीने का होने तक चलना शुरू कर देते हैं।
बच्चे के चलने में देरी की पहचान निम्न लक्षणों के आधार पर की जा सकती है -
- शिशु 12 महीने का होने पर भी चीजों को पकड़ कर (या सहारे से) खड़ा नहीं हो पाता है।
- शिशु 18 महीने का होने के बावजूद चल नहीं सकता है।
- शिशु दो साल का होने पर भी अच्छी तरह (बिना लड़खड़ाए) चल नहीं सकता है।
बच्चे के देर से चलने के 16 कारण व बच्चे को चलना सिखाने के उपाय
(Bache ke der se chalne ke 16 karan or bache ko chalna sikhane ke upay)
अगर तय समय-सीमा में बच्चा चलना ना सीख पाए, तो इसकी कई वजहें हो सकती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्न हैं -
1. बच्चे का वज़न सामान्य से ज्यादा होना
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर बच्चे का वजन सामान्य से ज्यादा है, तो उसे चलने में बाकी बच्चों की तुलना में ज्यादा समय लग सकता है। ऐसे बच्चों के हाथ-पैरों में वसा की मात्रा ज्यादा होने की वजह से वो अन्य बच्चों के हाथ-पैरों से अधिक भारी होते हैं। उनकी मांसपेशियों को उनके शरीर का वज़न संभालने लायक बनने में सामान्य बच्चों से ज्यादा समय लगता है।
आप यह कर सकते हैं- अपने बच्चे के साथ खेलकर उसे मांसपेशियों को चलाने के लिए प्रेरित कीजिए। इसके साथ ही उसके पसंदीदा खिलौने उससे थोड़ी दूरी पर रखकर, बच्चे को खिलौनों तक पहुंचने के लिए उकसाएं।
2. बच्चे का प्रीमैच्योर होना
आमतौर पर, समयपूर्व प्रसव से जन्मे बच्चों को चलना सीखने में सामान्य बच्चों की तुलना में ज्यादा समय लगता है।
इसे इस तरह समझें, मान लीजिए कि आपका बच्चा प्रसव की अनुमानित तिथि से दो महीने पहले पैदा हुआ था। अब उसके एक साल का होने पर उसकी एडजस्टेड (व्यवस्थित की गई) उम्र 10 महीने ही मानी जाएगी (क्योंकि वह दो महीने पहले पैदा हुआ था, इसलिए डॉक्टर उसकी उम्र में से दो महीने कम कर देते हैं)। इस स्थिति में, बच्चे को चलना सीखने में सामान्य बच्चों की तुलना में दो महीने ज्यादा लग सकते हैं।
आप यह कर सकते हैं- बच्चे के लिए डॉक्टरों द्वारा बताई गई सभी सलाहों का पूरी तरह पालन करें। जब तक बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार ना हो, उसे ज़बरदस्ती चलाने की कोशिश ना करें। उसकी तुलना बाकी बच्चों से बिल्कुल ना करें।
3. बच्चे के पैर कमज़ोर होना
चलने के लिए बच्चे के पैरों की मांसपेशियाँ मजबूत होनी जरूरी है। बच्चे के चलने में देरी होने की एक वजह उसके पैर कमज़ोर होना भी हो सकती है। कमज़ोर पैरों से बच्चा खड़ा नहीं हो पाता है, क्योंकि उसके पैर उसके शरीर का वजन संभालने में असमर्थ होते हैं। ऐसा बच्चे के शरीर में पोषक तत्वों की कमी, उसके कम सक्रिय होने आदि की वजह से हो सकता है।
आप यह कर सकते हैं- अगर बच्चे को पेट के बल लिटाने पर गर्दन उठाने में या हाथों के बल ऊपर उठने में समस्या हो रही है, तो उसके शरीर की मालिश करने से उसकी मांसपेशियाँ मजबूत हो सकती हैं। इसके अलावा उसके शरीर मे पोषक तत्वों की कमी ना होने दें और उसे विभिन्न खेलों के ज़रिए थोड़ा ज्यादा सक्रिय रखने का प्रयास करें। अगर इन सबसे शिशु की हालत में सुधार ना आए, तो उसे बच्चों के डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
4. बच्चे के पैर धनुष की तरह मुड़े होना
जन्म के समय ज्यादातर शिशुओं के पैर बाहर की तरफ हल्के से मुड़े या झुके होना आम है। दो साल का होने तक अधिकांश बच्चों के पैर अपने आप सीधे हो जाते हैं, और इससे उन्हें चलने में कोई परेशानी नहीं होती है।
मगर, बच्चे के पैर ज्यादा मुड़े हुए होने पर उसे चलने में परेशानी हो सकती है।
आप यह कर सकते हैं- अगर आपको बच्चे के पैर ज्यादा झुके या मुड़े होने की आशंका है, तो बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाकर इसकी जांच करवाएं। नवजात शिशुओं में इस समस्या का इलाज आसानी से किया जा सकता है, इसलिए इसका जल्दी पता लगाना बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होगा।
5. बच्चे के पैरों के तलवे ज्यादा चपटे होना
बच्चों के पैरों के तलवे चपटे होना सामान्य है, बड़े होने के साथ उनके पैर सामान्य होते जाते हैं। मगर, बच्चे के पैरों के तलवे बहुत ज्यादा चपटे होने से उसे घुटनों के बल और खड़ा होकर चलने में परेशानी हो सकती है। साथ ही यह उसके देरी से चलने का भी कारण हो सकता है।
आप यह कर सकते हैं- कुछ दुर्लभ मामलों को छोड़कर इस समस्या में आमतौर पर बच्चे को किसी प्रकार के इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन आप बच्चे को डॉक्टर के पास ज़रूर लेकर जाएं, ताकि इस बारे में आपको सही सलाह मिल सके। इस समस्या का इलाज बच्चे के तीन साल का होने से पहले नहीं किया जाता है।
6. बच्चे के शरीर की मांसपेशियाँ कठोर होना (हाईपरटोनिसिटी)
स्टिफ बेबी सिंड्रोम (stiff baby syndrome in hindi) के नाम से जाने जानी वाली इस अवस्था (हाईपरटोनिसिटी) में बच्चे के शरीर की मांसपेशियाँ बहुत कठोर और कभी कभी अकड़ी हुई होती हैं। इस रोग से पीड़ित बच्चे को चलने में मुश्किल होती है।
यह समस्या गंभीर होती है, क्योंकि इससे शरीर के साथ ही दिमाग और तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित होता है। ऐसे बच्चों की मांसपेशियाँ केवल सोते समय ही ढीली होती हैं।
अगर बच्चा चीजों को एक बार पकड़ कर छोड़ नहीं पाता है, या अपने पैर हमेशा मोड़कर रखता है, तो उसे यह समस्या हो सकती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि, अगर कम उम्र में ही इस रोग का पता लगाकर, उचित इलाज शुरू कर दिया जाए, तो बच्चा ठीक हो सकता है।
आप यह कर सकते हैं- अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा इस समस्या से ग्रस्त है, तो उसे तुरंत बच्चों के डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार शिशु का ध्यान रखें।
7. बच्चे का शरीर ठीक से ना बढ़ना
बच्चे का शरीर उसकी उम्र के हिसाब से ना बढ़ना, उसके चलना शुरू करने में देरी का एक कारण हो सकता है। हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि, अगर बच्चा लगातार बढ़ रहा है, तो उसका धीरे धीरे बढ़ना कोई चिंता वाली बात नहीं है। लेकिन एक तय समय तक शिशु का चलना, बोलना आदि ना शुरू करना चिंता का विषय हो सकता है।
आप यह कर सकते हैं- अगर विकास की एक उपलब्धि (डवलपमेंट माइलस्टोन) पर पहुँचने के बाद बच्चा दो महीने तक ठीक से ना बढ़े, तो उसके शरीर की जांच के लिए उसे बच्चों के डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
8. बच्चे का अन्य माइलस्टोन्स तक देरी से पहुंचना
बच्चे का अन्य विकास से जुड़ी उपलब्धियां या डवलपमेंट माइलस्टोन्स तक देरी से पहुंचना उसके देर से चलने का एक कारण हो सकता है। अगर बच्चा अन्य विकासात्मक माइलस्टोन्स (जैसे करवट लेना, पेट के बल लेटने पर हाथ-पैरों के बल उठने की कोशिश करना, बैठना आदि) तक पहुंच गया है, तो चिंता ना करें, वह जल्दी ही चलना भी सीख लेगा।
लेकिन, अगर बच्चा अभी तक करवट लेना, बैठना, हाथ-पैरों के बल पर घुटनों के बल चलने की स्थिति में आना आदि नहीं सीख पाया है, तो यह चिंता की बात हो सकती है।
आप यह कर सकते हैं- अगर आपको लगता है कि बच्चा डवलपमेंट माइलस्टोन्स तक नहीं पहुंच पा रहा है, या एक डवलपमेंट माइलस्टोन पर दो माह से अधिक समय तक रुका हुआ है, तो उसे तुरंत बच्चों के डॉक्टर पास लेकर जाएं।
9. बच्चे का बीमार होना
बीमार होने की वजह से भी बच्चे को चलना सीखने में देरी हो सकती है। जैसे कान का संक्रमण होने पर शिशु को मांसपेशियों पर नियंत्रण सीखने में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है। इसके अलावा बीमार होने पर बच्चे के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने से उसका शरीर कमज़ोर हो सकता है, जिससे उसे चलना शुरू करने में बाकी बच्चों की तुलना में अधिक समय लग सकता है।
आप यह कर सकते हैं- बच्चे के खान-पान/स्तनपान का विशेष ख्याल रखें और उसके शरीर की मालिश करें। इससे बीमारी के बाद उसके शरीर की कमज़ोरी जल्दी दूर होगी। इसके अलावा, जब भी शिशु में बीमारी के कोई लक्षण नजर आएं, उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। बीमारी का इलाज जल्दी शुरू होने से शिशु की सेहत को कम क्षति पहुँचती है।
10. बच्चे को रिकेट्स होना
रिकेट्स (rickets in hindi) एक अत्यंत दुर्लभ रोग है, जिसमें बच्चे की हड्डियां नर्म रह जाती हैं और हल्की चोट लगने पर भी टूट या चटक सकती हैं। इसकी वजह से बच्चे को चलना सीखने में ज्यादा समय लग सकता है।
आप यह कर सकते हैं- अगर बच्चे में इस रोग के लक्षण नजर आएं, तो उसे तुरंत अस्पताल लेकर जाएं। सही समय पर (कम उम्र में) इसका इलाज करवाने से यह ठीक हो सकता है।
11. बच्चे का व्यक्तित्व अलग होना
बच्चे के देरी से चलने की एक वजह उसका व्यक्तित्व भी हो सकता है। देरी से चलने वाले बच्चे हर काम को आराम से करना पसंद करते हैं और ये हर काम अपनी मर्जी से ही करते हैं। माना जाता है कि बच्चे का ये व्यक्तित्व बड़े होने के बाद भी बना रहता है। अगर आपका बच्चा सामान्य रूप से बढ़ रहा है, फिर भी चलता नहीं है, तो वह आराम-पसंद बच्चा हो सकता है। आमतौर पर ऐसे बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में थोड़ी देरी से चलते हैं।
आप यह कर सकते हैं- खैर, आप बच्चे का व्यक्तित्व तो नहीं बदल सकते, लेकिन आप उसे और ज्यादा सक्रिय (एक्टिव) होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इसके लिए आप विभिन्न खेल-खिलौनों का सहारा ले सकते हैं।
आप बच्चे के सामने खिलौने रखकर, रेंगते हुए उसे सिखा सकते हैं, कि खिलौनों तक कैसे पहुंचा जाए। हो सकता है कि, बच्चा आपकी नकल करने की कोशिश करते हुए, घुटनों के बल चलना शुरू कर दे। एक बार घुटनों के बल चलना शुरू करने के बाद, जल्दी ही बच्चा खड़ा होकर चलना भी शुरू कर सकता है।
12. बच्चे का किसी और तरह से चलना
बच्चे को चलने में देरी होने की एक वजह यह भी हो सकता है कि, वह किसी और तरह से (जैसे घुटनों के बल, या रेंगकर) चलता है। ऐसा होने पर, उसे खड़ा होकर चलने की ज़रूरत महसूस नहीं होती, इसलिए वह खड़ा होकर चलने की कोशिश भी नहीं करता है।
बच्चा निम्न प्रकार से बिना चले एक से दूसरी जगह जा सकता है -
- लुढ़क कर या लोटपोट होकर आगे बढ़ना
- कूल्हों के बल बैठकर, पैरों के ज़रिए खिसककर कर आगे बढ़ना
- पेट के बल लेटकर, हाथों के बल आगे बढ़ना
- पेट के बल लेटकर, पँजे व कोहनियों के बल पर आगे बढ़ना (फौजियों की तरह)
आप यह कर सकते हैं- अगर आपको लगता है कि शारीरिक रूप से सक्षम होने के बावजूद, बच्चा किसी भी तरह से एक जगह से दूसरी जगह तक नहीं जाता है, तो उसे चलने के लिए प्रेरित करें। उसे सहारे से चलना सिखाएं और उसके शरीर की मालिश करके उसकी मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करें। जब बच्चा रेंगने लगे, तो उसकी एड़ियों के नीचे अपने हाथों से सहारा दें, इससे उसे आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
13. बच्चे का घुटनों के बल ना चलना
घुटनों के बल ना चलना बच्चे के देरी से चलने की एक वजह हो सकती है।
ज्यादातर लोग समझते हैं, कि खड़े होकर चलने से पहले सभी बच्चे घुटनों के बल चलना सीखते हैं। मगर ऐसा नहीं है, कुछ बच्चे घुटनों के बल नहीं चलते हैं, इसके बजाय वो बैठ कर कूल्हों के बल या पेट के बल लेटकर हाथों के सहारे से खिसकना पसंद करते हैं। इसके बाद जब उनका मन होता है, वो खड़े होकर चलने की कोशिश करने लगते हैं।
इसके अलावा, कुछ बच्चे बिना घुटनों के बल चले, खड़े होकर पहले क्रूज़िंग (चीजों को पकड़ कर चलना) और फिर चलना शुरू करते हैं। असल, एक निश्चित उम्र (10-12 महीने) के बाद ही बच्चे का ना चलना एक समस्या माना जाता है और वह भी तब जब वह किसी भी अन्य तरह से ना चलता हो।
आप यह कर सकते हैं- बच्चे की गतिविधियों पर नज़र रखें और कुछ साधारण एक्सरसाइज (जैसे हाथ पैरों की स्ट्रैचिंग, मालिश आदि) व खेलों (जैसे खिलौने लुढ़काना और फिर उन तक पहुंचना, बच्चे के सामने घुटनों के बल चलना और उसे पास बुलाना आदि) के ज़रिए उसे थोड़ा ज्यादा सक्रिय बनाएं। अगर 10 से 12 महीने का होने के बाद भी बच्चा घुटनों के बल नहीं चलता या किसी भी तरह एक जगह से दूसरी जगह जाने की कोशिश नहीं करता है, तो उसे बच्चों के डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
14. बच्चे को पेट के बल ना लिटाना या कम लिटाना
बच्चे को पेट के बल लिटाने से उसकी गर्दन, हाथों व पीठ आदि अंगों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, जो बच्चे के चलने के लिए बहुत ज़रूरी है। इसलिए बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पेट के बल ना लिटाया जाए, तो कमज़ोर मांसपेशियों की वजह से बच्चे के चलने में देरी हो सकती है।
आप यह कर सकते हैं- रोज़ बच्चे को सुलाते समय पीठ के बल ही सुलाएं, लेकिन जब वह जाग रहा हो तो उसके खेलने के समय उसे कुछ देर पेट के बल लिटाएं। पेट के बल लिटाने पर वह सामने की ओर देखने के लिए अपना सिर उठाने और कोहनियों के बल ऊपर उठने की कोशिश करता है। इससे उसकी मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और उसे चलने में मदद मिलती है।
15. बच्चे को बहुत ज्यादा समय गोद में रखना
आपको यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन हद से ज्यादा “प्यार” आपके बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है। बच्चे को बहुत ज्यादा समय गोद में रखने की वजह से वह अपनी मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए ज़रूरी गतिविधियाँ (जैसे हाथ-पैर चलाना, खिलौने उठाना, फेंकना आदि) नहीं कर पाता है, जिससे उसे चलना सीखने में ज्यादा समय लगता है।
उदाहरण के लिए, अगर बच्चे के परिवार में उसे संभालने के लिए दादा-दादी, बड़े भाई-बहन आदि कई सदस्य हों, तो वे उसके रोने पर उसे तुरंत गोद में उठा लेते हैं। अगर बच्चे को कोई खिलौना चाहिए, तो उसे वह उठाकर दे दिया जाता है। बच्चे को ज्यादा समय तक गोद में रखना और छोटे-छोटे काम (जैसे खिलौने उठाना, खिलौने तक पहुंचना आदि) भी ना करने देना, उसके शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए।
आप यह कर सकते हैं- बिना ज़रूरत के बच्चे को गोद में ना उठाएं और उसे अपने खिलौने तक पहुँचने की कोशिश करने दें। उसके खेलने के समय उसे पेट के बल लिटाएं, इससे वह धीरे धीरे हाथों के बल ऊपर उठना और बैठना सीख सकता है।
16. बच्चे को ज्यादा कसे हुए कपड़े पहनाना
जिस तरह ज्यादा कसे हुए कपड़ों में आपको चलने फिरने में परेशानी महसूस होती है, ठीक उसी तरह से ज्यादा कसे हुए कपड़ों में बच्चे को चलने में असहजता महसूस होती है।
एक शोध के अनुसार, डायपर की वजह से बच्चे को चलते वक़्त संतुलन बनाने में दिक्कत होती है। इसके अलावा ज्यादा तंग (कसा हुआ) पजामे, टी-शर्ट और ढीले जुराबों की वजह से भी बच्चे को चलने में परेशानी होती है। इसलिए इनकी वजह से बच्चे को चलना शुरू करने में देरी हो सकती है।
आप यह कर सकते हैं- बच्चे को आरामदायक (ना तो बहुत ज्यादा ढीले और ना ही बहुत ज्यादा कसे हुए) कपड़े पहनाएं, जिनमें वह आसानी से चल-फिर सके और ज़मीन पर अपने पैरों की पकड़ बना सके। बच्चे को हर रोज़ कुछ मिनट के लिए नंगा रेंगने (घुटनों के बल चलना या पेट के बल खिसकना आदि) दें, इससे वह ज्यादा आसानी से चल पाएगा।
क्या बच्चे का पंजों के बल चलना एक समस्या है?
(Kya baby ka panjo ke bal chalna ek samasya hai)
चलना सीखने के बाद ज्यादातर बच्चे शुरुआत में पंजों के बल चलते हैं। करीब छह से बारह महीनों तक इस तरह चलने के बाद, बच्चे चलने के लिए पूरे पैर का इस्तेमाल करना सीख जाते हैं और दो से तीन वर्ष का होने तक वो पंजों के बल चलना छोड़ देते हैं।
आमतौर पर शिशु का पंजों के बल चलना कोई समस्या नहीं है। लेकिन अगर दो साल का होने के बाद भी बच्चा पंजों के बल चलता है, तो अपने बच्चे के डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें। बच्चे का लगातार पंजों के बल ही चलना या एक पैर से सामान्य रूप से और दूसरे पैर से पंजे के बल चलना, तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) की समस्या का संकेत हो सकता है, इसलिए इसकी जांच करवाना ज़रूरी है।
चलने में देरी होने पर बच्चे को डॉक्टर के पास कब लेकर जाएं?
(Baby ko chalne me deri hone par doctor ke pas kab lekar jaye)
बच्चे के विकास की जांच के लिए आपको समय समय पर डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी जाती है, ताकि उसके शारीरिक और मानसिक विकास पर नज़र रखी जा सके। अगर आप बच्चे के चलने में देरी होने की वजह से चिंतित हैं, तो आपको उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
निम्न स्थितियों में बच्चे के बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए -
- आपका बच्चा 12 महीने का होने पर भी चीजों को पकड़ कर (सहारे से) खड़ा नहीं हो सकता है।
- आपका बच्चा 18 महीने का होने के बाद भी चलता नहीं है।
- आपका बच्चा हर समय केवल पंजों के बल पर चलता है।
- आपका बच्चा दो साल का होने पर भी लड़खड़ाकर चलता है।
- आपके बच्चे के शरीर के दाएं और बाएं अंगों की गतिविधियों में अंतर है (जैसे शिशु का एक पैर से सामान्य रूप से और दूसरे पैर से पंजे के बल चलना)।
- आपको बच्चे के पैरों या उसके चलने से जुड़ी कोई अन्य चिंता है।
याद रखें, आपका बच्चा बाकी सभी बच्चों से अलग है, इसलिए उसका विकास भी उनसे अलग ढंग से होगा। बच्चे के चलने में देरी होने पर उसकी तुलना दूसरे बच्चों से करने के बजाय, इसकी वजह पहचानने की कोशिश करें।
ज्यादातर मामलों में बच्चे का देरी से चलना सामान्य होता है, लेकिन अगर आप अपने बच्चे के लिए चिंतित हैं, तो इस बारे में डॉक्टर से बात करें। भरोसा रखिए, देर से ही सही, लेकिन आपको भी अपना बच्चा घर में शैतानी करता हुआ घूमता दिखाई देगा।